Book Title: Swarnagiri Jalor
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharati Acadmy
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२५. सूक्ति द्वात्रिशिका विवरण-तपा गच्छीय कवि राजकुशल द्वारा सं० १६५०
में गजनीखान के राज्य में।
२६. मदनकुमार चरित्र रास-दयासागर (पिप्पलक उदयसमुद्र शि० ) . सं० १६६९ लघु गुरु-बंधु देवनिधान के आग्रह से ।
२७. शत्रुञ्जय यात्रा रास -सं० १६७९ हेमधर्म शि० विनयमेरु । २८. वृत्त रत्नाकर वृत्ति-समयसुन्दरोपाध्याय सं० १६९४ जालोर-लूणिया
फसला के स्थान में।
२९. क्षुल्लककुमार चौपाई-समयसुन्दरोपाध्याय सं० १६९४ जालोर-लूणिया
फसला के स्थान में। .
३०. चम्पक सेठ चौपाई-समयसुन्दरोपाध्याय सं० १६२५ जालोर ३१. सप्त स्मरण वृत्ति-समयसुन्दरोपाध्याय सं० १६९५ लूणिया फसला प्रदत्त
बसति में शि० हर्षनंदन स० । ३२. कथा कोश-समयसुन्दरोपाध्याय सं० १६९५ चैत सुदि ५ लि० ६००० ३३. परिहां ( अक्षर ) बत्तीसी-धर्मवर्द्धन सं० १७३५ जालोर। ३४. रोहिणी चौपाई-कर्मसिंह (पायचंद गच्छ ) सं० १७३७ का• सु०
१. रवि जालोर। ३५. जालोर मंडन षट् जिणहर स्तवन-गा० १७ मतिकुशल सं० १७२७ । ३६. रसिक प्रिया टोका–समयमाणिक्य ( समरथ ) सं १७५५ । ३७. प्रदेशी संबंध-तिलकचंद ( जयरंग शिष्य ) सं० १७४१ जालोर । ३८. समयसार बालावबोध- रामविजय (ख० दयासिंह शि० ) सं० १७९२
स्वर्णगिरि।
३९. साधु वन्दना-जयमल सं० १८०७ जालोर ।
४०. अजितनाथ स्तवन-जयमल सं. १८०७ जालोर ।
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