Book Title: Swarnagiri Jalor
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharati Acadmy
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मुनि जिनविजयजी के प्राचीन जैन लेख संग्रह से जालोर - स्वर्णगिरि के अभिलेख
( १ )
कुल गृहं धर्म वृक्षाल वालं मन्ये मांगल्यमाला प्रणत
(१) " ( साक्षा ?) त्रैलोक्य लक्षी विपुल श्री मन्नाभेयनाथ क्रम कमल युगं मंगलं वस्तनोतु । भव भृतां सिद्धि सौघ प्रवेशे यस्य स्कन्ध प्रदेशे विलसति गवल श्यामला कु तलाली ॥ १ ॥ श्री चाहुमान कुलांबर मृगांक श्री महाराज अणहिलान्वयो द्भव श्री महाराज आल्हण सुत ।
(२)
"र्यावली दुर्ललित दलित रिपु बल श्री महाराज कीर्तिपाल देव हृदया नंदि नंदन महाराज श्री समरसिंह देव कल्याण विजय राज्ये तत्याद पद्मोपजीविनि निज प्रौढिमा तिरेक तिरस्कृत सकल पील्वाहिका मंडल त [स्क ]र व्यति करे राज्य चिन्तके जोजल राजपुत्रे इत्येवं कालं ( ले ) प्रवर्त्तमाने ।
(३)...... [f] रपुकुल कमलेन्दुः पुण्य लावण्य पात्रं नय विनय निधानं धाम सौंदर्य्य लक्ष्म्याः धरणि तरुण नारी लोचनानंद कारी जयति समरसिंह क्ष्मापतिः सिंह वृत्तिः ॥ २ ॥ तथा ॥ औत्पत्तिकी प्रमुख बुद्धि चतुष्टयेन निर्णीत भूप भवनो चित कार्यं वृत्तिः । यन्मातुलः समभवत् किल जोजलाह्वो ।
(४)
-- (दोद्द ड ? ) खंडित दुरंत विपक्ष लक्षः ॥ ३ ॥ श्री चंद्रगच्छ मुखमंडन सुविहित यति तिलक सुगुरु श्री श्रीचन्द्र सूरि चरण नलिन युगल दुर्ललित राजहंस श्री पूर्ण भद्रसूरि चरण कमल परिचरण चतुर मधुकरेण समस्त गोष्ठिक समुदाय समन्वितेन श्री श्रीमाल वंश विभूषण श्रेष्ठि यशोदेव सुतेन सदाज्ञाकारि निज ।
(भ्रा ) तृ यशोराज जगधरविधीयमान निखिल मनोरथेन श्रेष्टि (ष्ठि ) यशोवीर परम श्रावकेण संवत् १२३९ वैशाख सुदि ५ गुरौ सकल त्रिलोकी तला भोग भ्रमण परिश्रां [ त ] कमला बिलासिनी विश्राम विलास
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