Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 15
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 11
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-15/9 कसौटी धर्म की (दिगम्बर जैनधर्म की दृढ़ श्रद्धावंत श्रेष्ठी कन्या बन्धुश्री की कथा) इस भरत क्षेत्र के मालव देश में अमरावती के समान सुन्दर उज्जैन नगर है, उसमें विश्वंधर राजा राज्य करते थे, उनके राज्य में एक गुणपाल नामक राजश्रेष्ठी रहता था, जिसके इन्द्राणी के समान सुन्दर धनश्री नाम की स्त्री थी। उनकी लक्ष्मी और सरस्वती के समान गुणवान बंधुश्री नाम की एक पुत्री थी। . एक दिन राजा विश्वंधर जब वन क्रीड़ा के लिये जा रहा था। तब मार्ग में उसने अपनी सखियों के साथ क्रीड़ा करती हुई उस श्रेष्ठी कन्या बंधुश्री को देखा । उस अनिंद्य सुन्दरी को देखते ही राजा कामपीड़ित हो गया। वह विचारने लगा कि इस “देवांगना के समान सुन्दरी के अभाव में मेरा जीवन निरर्थक है" अत: उसने राजभवन आकर एक दूत को बुलाया और उससे कहा कि तू गुणपाल सेठ के घर जा. और कह कि “राजा आपकी कन्या बन्धुश्री के साथ विवाह करना चाहते हैं। अतः राजा ने शीघ्र शुभमुहूर्त में विवाह की तैयारी करने का फरमान भेजा है।" ___ दूत गुणपाल सेठ के घर जाकर कहता है कि “मैं आपको प्रसन्नता के समाचार देने आया हूँ। महाराज विश्वधर आपकी पुत्री के साथ विवाह करना चाहते हैं। आपका भाग्य जागा है, महाराज जैसा दामाद मिलना- यह तुम्हारे लिए सौभाग्य है। आप महा भाग्यशाली हो, आपकी कन्या के सौभाग्य की तो क्या प्रशंसा करूँ। बंधुश्री तो अब राजा की पटरानी बनेगी।" गुणपाल सेठ दूत के वचन सुनकर विचारने लगे कि “कन्या सदा दिगम्बर RAL : M TEBARELA RATANJAL DAANAX FARNAGAR RREDIw

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