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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-15/46 कीमत लगाओमत (2) कीमत समझो!
दक्षिण प्रान्त के एक गाँव में एक जुलाहा रहता था। वह बड़ा ही शांतिप्रिय स्वभाव का था। कड़वा बोलना जैसे उसे आता ही न था। एक दिन एक शरारती धनी लड़के ने उस जुलाहे की परीक्षा लेने की ठानी। लड़के ने प्रण किया कि आज तो जुलाहे को गुस्सा लाकर ही छोडूंगा।
वह जुलाहे के पास पहुँचा। लड़के को देखकर जुलाहे ने कहा - बेटा! क्या चाहिए? वह बोला- मुझे यह साड़ी चाहिए। इसका क्या लोगे ? जुलाहे ने कहा - दो रुपये।
उस लड़के ने साड़ी हाथ में लेकर उसके दो टुकड़े कर दिये। उसने कहा - मुझे पूरी नहीं आधी साड़ी चाहिए थी। इसका क्या लोगे ? जुलाहे ने शांतिपूर्वक कहा - एक रुपया । उस लड़के ने उस साड़ी के कई टुकड़े कर डाले और फिर बोला – 'ये टुकड़े मेरे किस काम के ? मैं इन्हें नहीं खरीदता।'
बेटे ! ये टुकड़े तुम्हारे क्या किसी काम के नहीं हैं ?' युवक ने शर्मिन्दा होकर कहा – ये लो तुम्हारी पूरी साड़ी के दाम।' पर जुलाहे ने नहीं लिये। बोला- इन टुकड़ों को जोड़ कर काम में ले लूँगा, अब ये तुम्हारे किसी काम के नहीं हैं। ____धनी लड़के ATMERHIT ने धन के मद में कहा - 'तुम गरीब FANARTHA मेरे पास तो बहुत रुपये हैं। मैंने RASISAMR ... तुम्हारी चीज .
STStep खराब की है तो उसका घाटा मुझे पूरा करना ही चाहिए।' जुलाहे ने धीरे से कहा – 'बेटे ! तुम इसका घाटा पूरा कर सकते हो क्या? तो सुनो ! इसका
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आदमी हो , किन्तु .
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