Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 10
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 23
________________ मथुरा में सप्त ऋषि मथुरा नगरी में एक मधु नामक राजा राज्य करता था। श्री राम चन्द्र के अनुज श्री शत्रुघ्न को मथुरा नगरी अत्यन्त प्रिय थी, वे भी मथुरा का ही राज्य चाहते थे, एतदर्थ शत्रुघ्न ने अवसर पाकर श्रीराम की आज्ञा लेकर मथुरा पर चढ़ाई कर दी और युद्ध में राजा मधु को परास्तकर मथुरा का राज्य करने लगे। राजा मधु तो समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर स्वर्ग चले गये और उनके मरण का समाचार सुनकर उनका परममित्र असुरेन्द्र महाक्रोध पूर्वक पाताल से निकलकर मथुरा आने के लिये उद्यमी हुआ। उस समय गरुडेन्द्र उसके निकट आया और पूछा कि- हे दैत्येन्द्र! कहाँ के लिये प्रस्थान कर रहे हो? . चमरेन्द्र ने कहा- जिसने मेरे परममित्र मधु को मारा है, उसे कष्ट देने जा रहा हूँ। तब गरुडेन्द्र ने कहा- क्या विशल्या का माहात्म्य आप नहीं जानते? युद्ध में जब रावण की अमोघ शक्ति से लक्ष्मण जी मूच्छित हो गये थे, तब विशल्या के स्नान जल के प्रभाव से ही वह अमोघ शक्ति भाग गई थी, क्या यह आपने नहीं सुना है? (विशल्या लक्ष्मणजी की पटरानी थी।)

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