Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 10
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 82
________________ जिनोपदेश पाकर वीर-मुमुक्षु भावज्ञान के दृढ़ प्रहार द्वारा मोह का नाश करता है. . *તલવાર . Onsar રાપયોગ રૂપી તલવારથી) (અંતરધ્યામાં ઉગ્ર પ્રયત્ન કરે છે, अरे, बहुत दुःखों से भरपूर इस संसार में, सुखं का मार्ग दिखाने वाली जिनवाणी महाभाय से मुझे मिली, वीतरागी-जिनोपदेशरूपी यह तीक्ष्ण तलवार पाकर, अब मुझे भावज्ञान के तीव्र अभ्यास के द्वारा मोह को शीघ्र ही मार देना योग्य है। इस प्रकार दृढ़ निश्चय के द्वारा शूरवीर होकर मुमुक्षु अन्तर्मुख उपयोग के द्वारा आत्मअनुभूति करके मोह को नष्ट कर देता है, और आनन्दमय मोक्षमार्ग प्राप्त करता है। आईये, आप भी शूरवीर बन जाइये, जिनवाणीरूप वीतरागी तलवार आपके हाथ में ही है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84