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आपस में धर्मचर्चा राजगृही राज्य में राजा श्रेणिक राज्य करते थे। एक दिन राजा श्रेणिक की महारानी चेलना अत्यन्त बैचेन एवं उदास बैठी हुई थी। तभी उनके होनहार पुत्र अभयकुमार वहां आ पहुंचे और माता को उदास देख कर कहने लगे कि- हे माता! आप इसप्रकार उदास क्यों बैठी हो? आओ हमें इस उदासी को भूल कर कुछ धार्मिक चर्चा करना चाहिये। जिससे मन में प्रसन्नता होती है। यह सुनकर रानी चेलना भी प्रसन्नता पूर्वक कहती है कि. हां बेटा! तेरी बात सच्ची है, दुखं संकट में धर्म ही एक मात्र शरण होता है -ऐसा कह कर वे माता और पुत्र आपस में धर्मचर्चा करने लगे। उस चर्चा का संक्षिप्त सारांश यहां दिया जा रहा है, जिसे पढ़कर धर्म जिज्ञासुओं को अवश्य ही सुख दायक सच्चा मार्ग मिलेगा।
___ अभयकुमार- माता! अपने जैसे धर्मात्माओं पर भी ऐसा संकट क्यों आता है? '
चेलना- पुत्र ! जिन्होंने पूर्वभव में सच्चे देव-शास्त्र-गुरु की