Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 10
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१०/२३ हैं कि- "जीवों को इष्ट वस्तु का संयोग क्षणभंगुर होता है.....और उसका वियोग तीव्र दाह उत्पन्न करता है।" शत्रुघ्न ने किस कारण से मथुरा की माँग की? उन्हें अयोध्या की अपेक्षा मथुरा का निवास क्यों विशेष प्रिय लगा? स्वर्ग के 50000 િર ફેલાયેલા મરનેરા મથક ઉપદવ, ચારણ ધારી સખપનું અનુમાસનિમિત્તે આધ્યમન થતાં જ રોત થ ય છેફળ ફલ લી નીકળે છે ? કેનત થાય છે નઝરાનો ગમ ખંડિત થઈને ઉત્સવ ઉજવે છે. આ સાનિય મનિવરી મયા માઈ છે. ઋાથ જ દલિત થયા છે અને 4 દકામ समान दूसरी अनेकों राजधानियाँ होने पर भी उनकी इच्छा न करके उन्होंने मथुरा की ही इच्छा क्यों की? मथुरा के प्रति शत्रुघ्न को इतनी अधिक प्रीति क्यों? उसके स्पष्टीकरण में शास्त्रकार कहते हैं कि- शत्रुघ्न के जीव ने पूर्वकाल में अनेकों भव मथुरा में (मधुपुरी में) धारण किये हैं, इसलिये उन्हें मथुरा के प्रति अधिक स्नेह है। शत्रुघ्न का जीव संसार में भवभ्रमण करते-करते एक बार मथुरा में यमन देव नाम का व्यक्ति हुआ। महाक्रूर धर्मविमुख परिणाम से मर कर उसने तिर्यंचगति में अनेकों भव धारण किये और फिर कुलंधर नाम का दुराचारी ब्राह्मण हुआ, वहाँ से तप करके स्वर्ग में गया, वहाँ से फिर मथुरा नगरी में चन्द्रप्रभा राजा का अचल नामक पुत्र हुआ। एक बार अचल कुमार को जंगल में कांटा लग गया और वह अप कुमार नाम के पुरुष ने निकाला, इसलिये दोनों में मित्रता

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84