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प्रेरक प्रसंग
१. सीता-वैराग्य राजा रामचन्द्र ने लोकापवाद के भय से सीता को त्याग दिया, पश्चात् सीता के लव और कुश दोनों पुत्रों ने बड़े होकर लड़ाई में राम-लक्ष्मण को हरा दिया....परस्पर परिचय होने पर सीताजी को फिर से अयोध्या ले जोने की बात हुई, सीताजी के शील संबंधी लोगों का सन्देह दूर करने के लिये तथा लोगों में
શ્રી સીતાજી ની અસિ-પરીક્ષા પછી તેમને શ્રી રામચંદ્રજી ઘર પધારાને કાર પર તેનો અસ્વીકાર કરી જંકા તિછે.
उनके शील की प्रसिद्धि करने के लिये रामचन्द्रजी ने सीताजी की अग्नि परीक्षा आयोजित की। योजना के अनुसार बड़ा अग्निकुण्ड तैयार हुआ और पंचपरमेष्ठी भगवन्तों का स्मरण कर इस दहकते हुए अग्निकुण्ड में सीताजी कूद पड़ी, सब जगह हाहाकार होने लगा....।
__एक तरफ यहाँ अग्नि की झल-झलाती ज्योति प्रकट हुई है तो दूसरी ओर एक महामुनिराज को केवलज्ञान की झल-झलाती ज्योति प्रगट होती है, और वहाँ उत्सव मनाने के लिये जा रहे