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सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कौन ?
शोभावती नगर में महाराजा सूरसेन राज्य करते थे, जो विद्वान भी थे। उसकी राजसभा में एक दिन एक ज्ञानसभा आयोजित की गई, किसी ने काव्य, किसी ने श्लोक सुनाये । पश्चात् एक विदेशी पंडित ने सुन्दर बोध- प्रद कथा सुनाई, जिसे सुनकर सारी सभा जैसे बीन के नाद से नाग डोलता है वैसे डोलने, झूमने लगी, सब खुश हुए। राजा तुरन्त गहरे विचारों में मग्न हो गया और प्रश्न किया कि आप सब संयोग और संयोगी भाव की बातें लोगों के रंजनार्थ कर रहे हैं, किन्तु सच्चा सेवक किसे कहा जाय ? अनुभव प्रमाण से कहिये ।
सभाजनों ने अपनी बुद्धि अनुसार वर्णन किया, किन्तु राजा को संतोष नहीं हुआ। राजा ने १५ दिन की मर्यादा देकर कहा कि विचार करके जबाब देना। १५ वें दिन एक अति वृद्ध पंडित सभा में राजा के सन्मुख आये, दिन होने पर भी उनके हाथ में जगमागाता हुआ लालटेन (दीपक) था। पण्डित जी ने राजा से प्रश्न किया कि इस लालटेन में सबसे मुख्य चीज क्या है ?
महाराज - प्रकाश (ज्योति)
पण्डितजी - कैसे ?
राजा - अंधेरे में प्रकाश करना इसी का काम है, कारण कि यदि, इसमें ज्योति (प्रकाश) न हो तो लालटेन क्या काम की ? अतः इस ज्योति को मैं मुख्य और महत्व की वस्तु समझता हूँ। पंडितजी ने कहा, क्षमा कीजिये महाराज! आपका कहना बराबर नहीं है। इसमें ज्योति के सिवा दूसरी एक मुख्य वस्तु है।
राजा ने कहा- तो वह चीज रुई की बत्ती होगी, वह न हो तो ज्योति कहा से प्रगट हो सकती है? तब वृद्ध ने नकारात्मक मस्तक हिलाया, पश्चात् राजा ने लालटेन के सब अंग - उपांग सूचित किये, फिर भी वृद्ध ने इन्कार ही किया। राजा ने निवेदन किया कि मेरी समझ