Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 6
________________ जदिवसहाइरिय-विरइदा तिलोयपणगाती अट्ठविहकम्मवियला णिट्ठियकजा पण?' संसारा। विट्ठसयलहसारा' सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥१॥ घणघाइकम्ममहणा तिहुवणवरभव्यकमलमत्तंडा। अरिहा अणंतणोणा अणुवमसोक्खा जयंतु जए ॥२॥ पंचमहब्बयतुंगा तत्कालियसपरसमयसुद्धारा । णाणागुणगणभरिया आइरिया मम पसीदंतु ॥३॥ अण्णाणघोरतिमिर दुरंततीम्हि हिंडमाणाणं । भवियाणुजोययरा उवज्झया वरमदि देतु ॥४॥ थिरधरिय'-सीलमाला ववगयराया जसोहपडहत्या। बहुविणयभूसियंगा सुहाई साहू पयच्छंतु ॥५॥ एवं वरपंचगुरू तियरणसुद्धेण णमंसिऊण है । भव्वजणाण पदीवं वोच्छामि तिलोयपण्णत्ति ॥६॥ अंगलकारणहेदू सत्थं सपमाणणामकत्तारा। पढम चिय' कहिदव्वा एसा आइरियपरिभासा ॥७॥ पुण्णं पूदपवित्ता पसस्थसिवभद्दखेमकल्लाणा। सुहसोक्खादी सब्वे णिदिहा मंगलस्स पजाया ॥८॥ गालयदि विणासयदे घादेदि दहेदि हंति सोधयदे। विद्धंसेदि मलाई जम्हा तम्हा य मंगलं भणिदं ॥६॥ दोणि वियप्पा होति हु मलस्स इमं दव्वभावभेएहिं । दव्यमलं दुविहप्पं बाहिरमभंतरं1० चेय ॥१०॥ सेदमलरेणुकद्दमपहुदी बाहिरमलस्समुदिह। पुणु दिढजीवपदेसे णिबंधरूवाइ पयडिठिदिआई11 ॥१२॥ I sय ण?; 2 BS सयलत्थ; 3 B3 णाणे; 4 s तिमिरं ; 5 A उवज्झाया; 6 AB दिंतु, 78 सिला, AB सोला; 8 AB णमंसिऊणाहं ; 9 s विय; IO AS अज्झतरं , II AB आई।

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