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जैनवालगुटका प्रथम भाग। १४चौदहवे स्वप्न में पाताल से निकलता नागेन्द्र का भवन दीखे है
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१५ पंदरहवें स्वप्न में अरुणजे पद्मरागमणि (चुन्नी) (लाल) उज्वल जे वज्रमणि(हीरा)हरित जे मरकत मणि (पन्ना)श्याम जे इन्द्र नीलमणि (नीलम), और पीत जे पुष्प राग मणि (युषराज), इत्यादि रत्नों की बड़ी ऊंची राशि दीखे है।
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१६ सोलहवें स्वप्ने में बलती हुई निर्धूम अग्नि दीखे है।
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