Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 17
________________ जैनबालगुटका प्रथम भाग। आठवें स्वप्नेमें सरोवरके जल विषे केल करते हुये युगल (दो) मीन (मच्छी) दीखे हैं। MMSHIKMERATIलाभर LTD १ नवमें स्वप्ने में सुगंध जलके और दो कंचन के कलश जिन के मुख कमल से ढके हुये हैं तो दी है। dac VAST १० दशवें स्वप्ने में महा मनोहर पौड़ियों सहित स्वच्छ जल से भरा कमलों कर पूर्ण सरोवर दीखे है। ल REA D LINE FITSELEATURE माधLEUPTETVS मन FEERREEHATI EVER SE

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