Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 62
________________ बाळगुटका प्रथम नाग ! 8 विक्रथा । स्त्री कथा, भोजन कथा, देश कथा, राज कथा ॥ ३ शल्य | १ माया, २ मिथ्यात्व, ३ निदान || ६ लेश्या । १ कृष्ण, २ नील, ३कापोत, ४ पीत, ५पद्म, ६शुक्ल । ७ भया १ इस लोक का भय, २ परलोक का भय, ३मरण का भय, ४वेदना का भय, ५ अरक्षाभय, ६ अगुप्त भय, ७ अकस्मात्भय ८ मद । जातिका मद, २ कुलका मद, ३ बलका मद, रूपका मद, ५ विद्याका मद, ६नपका सद. ७ धन का मद, ऐश्वर्यका मद ॥ मौन धारण के ७ समय १ भोजन करते हुए, २ वमन (उलटी) करते हुए, ३ स्नान करते हुए, ४ स्त्री सेवन समय, ५ मल मूत्र त्याग करते हुए, ६ सामायिक करते हुए, ७ जिन पूजा करते हुए नोट- यह ७ क्रिया करते हुए नहीं बोलना चाहिये || १६ कारण भावना | १ दर्शनत्रिशुद्धि, २ विनय संपन्नता, ३शील प्रतेष्वनविचार, ४ आभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, ५ संवेग, ६ शक्तितस्त्याग, ७ तप, साधु · समाधि, ९ वैश्यावृत्य करण, १० अर्हद्भक्ति, ११ आचार्य भक्ति,

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