Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 22
________________ WASALMNEHWAR जैनयालगुटका प्रथम माग ४-अभिनन्दननाथ के बन्दर का चिन्ह। पहिला भव वैजयंतनामा दूसरा अनुसर विमान जन्म नगरी अयोध्या पिताका नाम संपर माताका नाम सिद्धार्थी काय ऊंची ३५० धनुष, रंग स्वर्ण समान पोला आयु ५० लाख पूर्व दीक्षा वृक्ष सरल गणधर १०३. निर्वाण आसन खड्गासन निर्माण स्थान सम्मेदशिखर, अन्तर इनसं ९ लाख कोटिसागर गए पीछे सुमतिनाथ भए । ५-सुमतिनाथ के चकवे का चिन्ह ।। पहिला भव उद्धवेथक जन्म नगरी अयोध्या पिता का नाम मेघप्रम माता का नाम सुमंगला (मंगलावती) काय ऊंची ३०० धनुष रंग सुवर्ण समान पीला आयु४० लाख पूर्व धोशा वृक्षप्रियंगु (कगुनी ) गणधर ११६ निर्वाण आसनखड्गासन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, अंतरानसे ९० हजार कोटि सागरगए पीछे पद्ममम भए॥ .. ६-पमप्रभ के कमल का चिन्ह। ' पहिला भव वैजयंत नामा दूसरा अनुत्तर विमान जन्म नगरी कोशाम्बी पिता का नाम धारण माता का नाम सुसीमादेवी काय ऊंची २५० धनुष, रग कमल समानमारकासुरख) आयु ३० लाख पूर्व दीक्षा वृक्ष प्रियंगु (कंगुनी) गणधर १११ निर्वाण आसन खड्गासन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, अंतर इन से ९ हजार कोटि सागर गए पीछे सुपार्श्वनाथ भए-. -सुपार्श्वनाथ के साथिये का चिन्ह । । पहिला भव मध्यौवेयक जन्म नगरी काशी पिता का नाम सुप्रतिष्ठ माताकानाम पृथिवी(षेणादेवी काय ऊंची२००धनुष, रंग प्रियंगु मन्जरी , समान हरा यु २०लाख पूर्व दीक्षा वृक्ष शिरीष (सिरस) गणधर९५ निर्वाण आसन खड्गासन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, मंतर इन से ९ सौ कोटि सागर गए पीछे चन्द्रप्रभ भए RELARINA d

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