Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 41
________________ जनबालगुटका प्रथम भाग। अथ ८ कर्म की १४८ प्रकृति का वर्णन। ज्ञानावरण की ५ दर्शनावरण की ९ अंतराय की ५ मोहनीय की २८ आयुकी ४ गोन की २ वेदनीय की २ नाम की ९३ ।। ज्ञानावरण के ५ भेद। १ मति २ श्रुति ३ अवधि ४ मनपर्यय ५ केवलज्ञान । दर्शनावरणके । भेद। १ चक्षु २ अचक्षु ३ अवधि ४ केवल ५ निद्रा ६ निद्रा निद्रा ७ प्रचला ८ प्रचलाप्रचला ९ स्त्यानगृद्धि ॥ अन्तराय के ५ खेद। १ दान २ लाभ ३ भोग ४ उपभोग ५ वीर्य । सोहनीय कर्म के २८ भेद। दर्शन मोहनीय के ३ चारित्रमोहनाय के २५॥ दर्शनमोहनीय के भेद। १ सम्यक्त २ मिथ्यात्व ३ मिश्र।। चारित्र मोहनीय के २५ भेद। ४ अनंतानुवन्धि क्रोध मान, माया लोभ । ४ अप्रत्याख्यान क्रोध, मान माया लोभ । ४ प्रत्याख्यान क्रोध, मान माया लोभ । ४ संज्वलन क्रोध मान माया लोभ १७ हास्य१८ रति १९ अरति २० शोक २१ भय २२ जगुप्ता २३ स्त्री २४ पुरुष २५ नपुंसक॥ आय कर्म को ४ प्रकृति। १ देव आयु २ मनुष्य आयु शतयंचायु ४ नरकायु ॥

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