Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 88
________________ जबबाल गुटका प्रथममा। एकही आधार क धारी दोनों थोक 'परफमापस के चंद बातों में तमाजेसे माम भेद कर लिया है। तनाजा किनबातों का है। तनाजा सिरफ पूजन वगैय की विधि में है बीसपंथी श्रावक जब पूजन करते है तो प्रतिविम्ब के केसर को टोकी लगाते हैं दूसरे पूजन में सब्ज फल फूल चढ़ाते हैं । लण्ड घेवर पकवान वगैरा चढाते हैं । रात्रि के समय भी सामग्री बढाकर पजन करते हैं ५ सांझ को दीपक जलाकर भगवान को आरती करते हैं। मंदिर में क्षेत्रपाल भैरव पद्मावती की थडी बनाते हैं और उनपर भीफूल वगैरा बढ़ाते हैं। १३ पंथी ऐसी ऐसी बातों का निषेध करते है इस से १३पंथीभौर वीसपंथियों में देष भाव यहां तक बढा है कि १३ पन्थी बोलपंथियों के मंदिर में दर्शन करने तक भी नहीं जाते। १३ पंथ पहला है या २० पंथ ॥ असल में पहले दिगम्बर मत एक ही था संवत् विक्रमी १७७७ में पंडित दौलतराम बसवानिवासी जो आगर में रहते थे उन की राय से १३ पंथ अलग होगया जिन दौलतराम ने पद बनाये यह दूसरे दौलतराम थे वह इनसे पहले हुये है और एक ग्रंथ में यह लिखा है कि पहिले पहल यह भेद संवत ११३ में मागरे से महारक मरेंद्र कीर्ति भामेर वालो की राय के विरुद्ध हुवा है। समैया जैनी किन को कहते हैं। समैया जैनियों को दूसरे थोक वाले खफा करने को (चिडाकर) हुंडी पंथी कहते हैं संवत १५०५ में तारख जी का जन्म हुवा है और संवत १५७२ में इन का परलोक हवा है इन्होंने १४ प्रथ रचे है समैया जैनी इन ग्रन्थों को मानते हैं इन प्रन्यों में और दिगम्बरियों के बाल मन्थो के लेखो में फरक है। चौथाशद्ध आम्नाय पंथ कौनसा है। यह पथ अभी जन्मा तुरत का पालक है अभी गुडलियां नहीं चला परन्तु उम्मेद है बहुत जल्द तरुण होजावेगा इस का नाम पता हम सभी बताना मुनासिव नहीं समझते जहार शब्द काक्या मतलब है। जैनियों में जो जुहार बोलते हैं, सो जुहार शब्द का मतलब इस प्रकार है।

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