Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 91
________________ ___ जैनवाल गुटका प्रथमभाग। . . ... जैन नामावली का संशोधन। . विदित हो कि २४ तीर्थकर १२ चक्रवर्ती । नारायण- ९ प्रतिनारायण ९ चलभद्र २४ काम देव आदि घाज २ नाम 'जैन प्रथम पुस्तक में एक प्रकार लिखे हैं जैनधर्मामृतसार में दूसरे प्रकार लिखे हैं मुधर जैनशतक में कुछ लिखा है जैन सुधा सागर में कुछ लिखा है ३ शलाका पुरुषों की किताब में कुछ और लिखा है हस्त लिखित भाषा ग्रन्थों व पुस्तकों में कुछ और ही. दर्ज है. इस लिये हमने वडे २ संस्कृत वा प्राकृत के ग्रन्थों को सहायता से सब गलतियां दूर करके यह जैन नामावली इस पुस्तक में शुद्ध लिखी है संस्कृत भऔर प्राकृत ग्रन्थों में लेख इस प्रकार हैं। . . . . . . . . . संस्कृत और प्राकृत ग्रन्थों के लेख। । एतस्यामवसर्पिण्यामृषभोऽजितसंभवौ अभिनन्दनः सुमतिस्ततः पद्मप्रमाभिधासुपार्श्वश्चन्द्रप्रभश्चसुविधिश्चायशीतलाश्रेयांसोवासुपूज्यश्च विमलोऽनन्ततीर्थ कृन् धर्म:शान्तिः कुन्धुररो मलिश्च मुनिसुव्रतः नमिनेमिः पार्थो धीरश्चतुरविंशतिरहताम् ।ऋपमो वृपमः श्रेयान् श्रेयांसः स्यादनन्तजिदानन्तः सुविधिस्तु- पुष्पदन्ती मुनिसतत सुनती तुल्यौ । अरिष्टनेमिस्तु नेमिर्वीरश्चरमतीर्थकृत् । महावीरोवर्द्धमानो देवार्योशातनन्दनः . . ... ... .. आर्पमिभरतस्तन सगरस्तु सुमित्रभू मघवा वैजयिरथाश्वसेनो नृपनन्दनः । सनत्कुमारोथ शान्तिः कन्युररो जिनामपि सुमस्त कार्तवीर्यः पनः पोचरात्मजः हरिषेणो हरिस्तो जयो विजयनन्दनः ब्रह्मसूनुर्ब्रह्मदव सर्वेपोख्वाकुवंशजाः। ... प्राजपत्यस्त्रिमष्ठोथ द्विपृष्ठो ब्रह्मसम्भवः स्वयम्भू रुद्रतनयः सोमभूर पुरुषोत्तमः । शैव पुरुपसिंहोथ महाशिरस्समुद्भवः स्यात्पुरुषपुण्डरीको दचोग्नि सिंहनन्दनः नारायणो दाशरथिः कृष्णस्तु वसुदेवम् वासुदेवा मी कृष्णा नव शुक्लावलास्त्वमी । अवलो विजयो भन्दा सुप्रभश्च सुदर्शनः आनन्दो नन्दनः पनो रामो विष्णु द्विपस्त्वमी । अश्यग्रीवस्तारकश्वमेरकोमधुरेवच निशुम्म. बलिप्रल्हाद लंकेशमगधेश्वराः जिनः सह त्रिषष्ठिः स्पुः शलाका पुरुषा अमी मह भणा जिणवरिंदोजारिसमोतनरिंदसदुलो। एरिसगं एकझारस भन्ने हो हिति गयाणो 1 होहि अगरोमघवं सणंकुमारोय रायसदुलो । सन्तीकुन्थुम मरीहवासभूमोय कोरब्यो नयमो यमहाप उमोह रिसेणो घेत्र राय सददूलो जय नामोय नरवई बार समायभदतोय । होहिषतिासुदेवानव अन्ने नील पीयको खेज्जा । हलमुस

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