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जैनबालगुटको प्रथम मागी" कमाता है किहा करके सदा सब जूवे में हार आता है जुवारी संदा गरीव दुखी रहता है सारी उमर तडफता ही मरता है जब उसके पास धन नहीं रहता तब चोरी करते लगता है दूसरे के बच्चों को जरा से धन के वास्ते मार डालता है इसलिये राजी कर सूली दिया जाता है कैद किया जाता है जुवारी का कोई ऐतबार नहीं करता उसकी कोई इज्जत नहीं करता। - .. . ....... :
: ' (२) मांस का खाना अमक्ष्य में लिखा है यहां दुवारा इस यास्ते वयान किया है कि जिसके मुंह के खून लगजावे जैसे राजा के मुंह के बच्चों का खून लग गया था सारे बच्चे नगर के खागया था इस का नाम मांस व्यसन है। . . . . .
· , (६"मदका अर्थ यह है कि ऐसी वस्तु खानी जिससे नशा पैदा हो योनी' वेहोशी या मस्त होने को बदचलनी करने को नशे वाली चीज खानी इसका नाम मद है जैसे माजून (मार्जुम) खांकर नई वनना भंग पोरं नशई बनना ताड़ी पीकर नशई बनना शेयव पोकर नशई बनना अफोम स्नाकर दशई बनना यह सर्व मद में हैं । जो मनुष्य अपनी वायु वादी का बदन तन्दुरुस्त रखने की आखों से पानी चहना कम करने को अफीम खान लगते हैं या ऊपर वयान को जो वस्तु उनमें से कोई अपनी जान बचाने की बीमारी दूर करने को खानी, वह मद में शामिल नहीं मद का मतलब ही नशे बाज बनने का है.और यहां यह लेख व्यसन में है म्यसन का अर्थ ऐव का है जान बचाने वीमारी दूर करने को कोई नशीली वस्तु खाना पेब नहीं है परन्तु माम्नाय विरुद्ध न खावें । अन्यों केलेलं और आवाग्यों के आशय को समझना बड़ा कठिन है एक लफ़जके अनेक अर्थ होते हैं जहां जो संभवे वहाँ वही लेना चाहिये यह जो जितने मत भेद हुये हैं सब असंभव अर्थ के ग्रहण करने से ही हुये हैं।
(8) रंडी बाजी करना जिसको रंडी वाजी की लत लग जावे यानी जिस को यह पता लग जाये वह अपने सारे धन को खो देता है अपनी स्त्री के पास नहीं जाता उस से मुहब्बत नहीं रहती जब उस स्त्री को काम सतावे उस से न रहा जावे तो ऐसी अनेक स्त्री खाविंदको वदचलन देख उसके पास रंडी आती जाती देखकर वह भी ऐवदार हो जाती हैं वचलन की सौहवत से दूसरा भी बदचलन हो जाता है, पस उसको स्त्रीभी बदलन होजाती है वह नौकरों से संगम करने लग जाती है दूसरे रंडीबाज के आतशक होजाती है उसका वीर्य भुने.अनाज की तरह होजाता है उसमें हमल रखने का गुण नहीं रहता तसे रंडीवाज के मौलादा नहीं होती और ऐयो में तोधन ही जाता है परन्तु रंडी वाली में धन भी जाताहै वंशनी नहीं चलता
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