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जैनवाल गुटको प्रथम भाग |
लचक जोहीलताल रुळल्या दो दो । तिविष्य दुविध्य लयंभु पुरि सोसमे पुरि ससिदे | तह पुरिस पुण्डरी एदतेनारायणेकर हे मयले बिजये भददे सुप्पमेय सुदंसणे आपणदे नंदणे पउमे रामे याविश्रपच्छिमे ॥ आसगोवे तारण मेरय महुकेदवै निसुभेय चलि पल्हाए तह रावणोय नवमे जरासिंधू ।
उत्सर्पिण्यामतीतायां चतुर्विंशतिरर्हताम् । केवल ज्ञानी निर्वाणी लागरोऽथ महायशाः । विमल: सर्वानुभूतिः श्रीधरो दसतीर्थं कृत । दामोदरः सुतेजाश्च स्वाम्यऽयोमुनि सुत्रतः सुमतिः शिवगतिश्चैवाऽथमिमीश्वरः अनिलो यशोधराख्यः कृतार्थोऽथ जिनेश्वरः शुद्धमतिः शिवकराः स्यंदनश्चाऽय सम्पति माविन्यान्तु पद्मनामः शूरदेवः सुपार्श्वकः स्वयंप्रभश्च सर्वानुभूतिर्देवश्रुतोदयौपेढा पोलिश्बापिशतकीर्तिश्व सुव्रतः । अममोनिष्कषायश्च निप्पलाको ऽथ निर्ममः । चित्रगुप्तः समाधिश्वसंवरश्चयशोधरः विजयोमल्ल देवश्वा ऽनन्तवीर्यश्च भद्रकृत् । एवं सर्वावसि व्युरसर्पिणी पुजिनोत्तमाः ॥
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अंगरेजी अक्षर जाने बिना तकलीफ और हरजा ।
हम में इस जैनवाल गुटके में अंगरेजी अक्षर और साथ में थोडे से अंगरेजी शब्द भी रोज सरह काम में आने वाले इस खियाल से लिख दिये हैं कि इस समय अंगरेजी अक्षर जाने बिना, रेल के सफर में अपने टिकट पर किराया व मुकाम न पढ सकने से अनेक वार मुलाफरों को तकलीफ उठानी पडती है चाल वक्त धोके से किराया जियादा दिया जाता है और ठग थोडे फासले का टिकट देकर बजे फालिले का टिकट चालाकी से बदल लेते हैं और खास कर जिनके यहाँ चार आने जाने का काम होता है उनको तो अंगरेजी अक्षर आनने अजहद जरूरीहै ताकि अपना वार आप पढ लेनेसे अपने तार का गुप्त मतलव दूसरों पर प्रकाशित होने से बच सके सो जेन पाठशालाओं में बच्चों को यह अंगरेजी अक्षर और शब्द जरूर सीख लेने चाहिये । अंगरेजी वर्ण माला ॥
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अंगरेजी वर्ण माला के २६ अक्षर दो प्रकार के होते हैं जो अक्षर पुस्तकादि मैं छपते हैं वह और हैं जो लिखने मे माते हैं वह दूसरे हैं और इन में भी बड़े छोटे अक्षर दो प्रकार के होते है जब कमो किसी इनसान तथा स्थान का नाम कोई कथन या नया पैरा लिखना शुरू करते हैं तो उल के प्रथम शब्द का प्रथम अक्षर बड़ी वर्णमाला का लिख कर फिर सारे अक्षर सर्व शब्दों के छोटी वर्णमाला से ही लिखते हैं सो बालकों को लेख लिखने के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये