Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 105
________________ 'प्रोतबाट पुष्टका प्रथम भाग . . . दूसरों की छापी पुस्तकें भी यह हमारे यहाँ विकती हैं। গনী আগা মা धर्म परीक्षा . . मानार्णव महानग्रन्थ - परमामा मास, .. : पुण्याभय कथा को महान अन्य ३१ पार्च पुष छांगा बना की पम्पमहाननंधा पशन संग्रह एबीर दशलक्षण शादि) भाराधना सार कशा काय ... || माघटीत (मोक्ष शास्त्री - समयसार धामयाति श्रावक पनिता बेथिनी ) पाडा पुगण बंद थे . ज्ञानानन्दशनेक नसावन नाथूरामकृता। शो घर परिष .. दीप पूजा विधान ).. जन पद संग्रह दौलन समत ) · खट पाटुंद जैन पद संग्रह भूधरमास ) रन कड श्रावकाचार बडा लवासा :जैन पद संत्रा बध जना ) हत भाषा यवन का महान ग्रंथ. ४) । जनमजन र तिपयनसुखजीत ) धर्म संनद प्रावकाचार . . . २) .. औन गजत प्रभु रिलास . . ) यानन्दी धारकर धार ). गुपपा सिद्धोपय भाग्य शर्यसंदित ।) हलधुरंड अन्वयार्थ या संत्रा बड़ी टीश के प्राचीन ग्रंथ प्रद्युमन चरित्र.. . " ) जैन मंदीरों में हैं. दिगम्बर जैनधर्म पुस्तकालय लाहोर के नियम ।। .. ओ मादक हमले पुस्तक मंगाते हैं सब का डाक थानेले का गहसूल हम अपने । पाल से देते हैं, बदल बंधवाई सिलाई और दाट के दाम भी नहीं लेते ॥ . : जोमादक हमसे एक मपये से जियादा रकर को पुस्तकें मंगाते हैं उनको हस । भी रुपयों कमीशन काददेते हैं परन्तु उपयों की रकम पर काटते हैं आनो का नहीं। '। जो प्रारक पक जातिको इकाळी पुस्तया ग्रंथ हमसे मंगाते हैं उन को इन पत्रि" को मध्य में , वश मल्य में १३, पंदर केल्यम २०, घीस के मूल्य में २८पञ्चीस : कोमल्य में ३५ पचास के मध्य में ७५ प्रति भेजने हैं या रेल का महसूल नो इम • अपने पास से ही देते हैं भारी मातोशा भोका देते। एस्तक मिलनेका पता बाबालाजचन्द्रजनालाकात

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