Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
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गुण का लक्षण पर्याय का लक्षण
विषय
षष्ठ अध्याय
व का वर्णन
साम्परायिक आस्रव के भेद
आस्रव के अधिकरण
जीवाधिकरण के १०८ भेद
अजीवाधिकरण
आठ कर्मों के आस्रव के कारण
सप्तम अध्याय
पांचों व्रत और उनकी भावनाएं
पांचों पापों के लक्षण
अणुव्रती श्रावक
व्रतों और शिलों के अतीचार दान का वर्णन
अष्टम अध्याय
अनुभाग बन्ध प्रदेश बन्ध
बंध के कारण
बंध का स्वरूप बंध के भेद
प्रकृतिबंध - आठों कर्मों की प्रकृतियां
स्थितिबन्ध
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सूत्र संख्या
४१
४२
१-२७
१-४
५-६
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१०- २७
१-३६
१-१२
१३-१९
२०-२२
२३–३७
३८-३६
१-२६
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२
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३
४–१३
१४-२०
२१-२३
२४
पृष्ठ त० जैना ऽऽगमसमन्वय
१४०
99
१४१
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१४२
१४५
१४६
१५७
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१६३
१६५
१६७
१७७
१७६
23
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१८०
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१९४
१६६
१६७
पृष्ठ
भाषा सूत्र
35
22
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२६४
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