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कालिदास पर्याय कोश जब उन्होंने ने घोड़े पर से उतरकर घड़े पर झुके हुए मुनिपुत्र से उसका वंश
परिचय पूछा। 4. धुर्य :-[धुर+यत्] घोड़ा या बैल।
अथ यंतारमादिश्य धुर्यान्विश्रामयेति सः। 1/54
तब राजा दिलीप ने अपने सारथी को आज्ञा दी कि घोड़ों को ठण्डा करो। 5. वाजि :-पुं० [वाज्+इनि] घोड़ा।
शतैस्त्रभक्ष्णामनिमेषवृत्तिभिर्हरिं विदित्वा हरिभिश्च वानिभिः। 3/43 घोड़े के हरने वाले के शरीर पर आँखें ही आँखें हैं, उन आँखों की पलकें कभी नहीं गिरती हैं और उनके रथ के घोड़े भी हरे-हरे हैं। तस्मै सम्यग्घुतो वह्निर्वाजिनीराजनाविधौ। 4/25 चलने से पहले घोड़ों की पूजा के लिए हवन होने लगा और हवन की आग भी। अस्य प्रयाणेषु समग्र शक्तेरग्रेसरैर्वाजिभिरुत्थितानि। 6/33 जब ये शत्रुओं पर चढ़ाई करते हैं, तब सेना के आगे चलने वाले घोड़ों की टापों से उठी हुई धूल से। तत्प्रार्थितं जवनवाजि गतेन राज्ञा तूणीमुखोद्धृत शरेण विक्षीर्ण पंक्ति।
9/56 राजा ने ज्यों ही अपने वेग गामी घोड़े पर चढ़कर और अपने तूणीर में से बाण
निकालकर, उनका पीछा किया कि वह झुंड तितर-बितर हो गया। 6. वाहन :- [वाहयति-वह+णिच् ल्युट्] घोड़ा।
स दुष्प्रापयशाः प्रापदाश्रमं श्रान्त वाहनः । 1/48 इतने थोड़े समय में इतनी दूर की यात्रा करने के कारण उनके घोड़े भी थक चुके थे। वक्त्रोष्मणा मलिनर्यति पुरोगतानि लेह्यानि सैंधवशिला शकलानि वाहाः।
5/73 घोड़े नींद छोड़कर सेंधे नमक के उन टुकड़ों को अपने मुँह की भाप से मैला कर रहे हैं, जो चाटने के लिए उनके आगे रखे हुए हैं। जिगामिषुर्धनपाध्युषितां दिशं रथयुजा परिवर्तित वाहनः। 9/29 सूर्य भी उत्तर की ओर घूम जाना चाहते थे, इसलिए उनके सारथी अरुण ने घोड़ों की रास उधर ही मोड़ दी।
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