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रघुवंश
रणो गंध द्विपस्येव गंधभिन्नान्यदंतिनः। 17/70
जैसे बिना मदवाले हाथी, मतवाले हाथी से नहीं लड़ पाते। 7. द्विप :-हाथी।
कंडयमानेन कटं कदा चिद्वन्य द्विपेनोन्मथिता त्वगस्य। 2/37 एक बार एक जंगल हाथी आकर इससे रगड़-रगड़कर अपनी कनपटी खुजलाने लगा, उससे इसकी थोड़ी छाल छिल गई। तदा प्रभृत्येव वनद्विपानां त्रासार्थमस्मिन्नहमद्रिकुक्षै। 2/38 तब से शंकरजी ने जंगली हाथियों को डराने के लिए मुझे यहाँ पहाड़ के ढाल पर रखवाला बनाकर रख छोड़ा है। मदोत्कटे रेचितपुष्पवृक्षा गंधद्विपे वन्य इव द्विरेफाः। 6/7 जैसे फूलवाले वृक्षों को छोड़कर मद बहाने वाले जंगली हाथियों पर भौरे झुक पड़ते हैं। शस्त्रक्षताश्व द्विपवीरजन्मा बालारुणोऽभूदुधिर प्रवाहः। 7/42 शस्त्रों से घायल घोड़ों, हाथियों और योद्धाओं के शरीर से निकला हुआ लहू, प्रातः काल के सूर्य की लाली जैसा लगने लगा। अथ मद गुरूपौर्लोकपालद्विपानाम्। 12/102 मद से भीगी हुई पंखों वाले भौरे हाथियों के मद बहाने वाले कपोलों को छोड़कर। तस्य द्विपानां मदवारिसेकात्खुराभिघाताच्च तुरंगमाणाम्। 16/30 कुश के हाथियों के मद जल से और घोड़ों की टापों से। रणों गंध द्विपस्येव गंध भिन्नान्य दंतिनः। 17/70 जैसे बिना मदवाले हाथी, मतवाले हाथी से नहीं लड़ पाते। तेन द्विपानमिव पुंडरीको राज्ञामजय्योऽजनि पुंडरीकः। 18/8 जैसे हाथियों में पुंडरीक नाम का हाथी सर्वश्रेष्ठ है, वैसे ही उस समय के राजाओं में पुंडरीक ही सर्वश्रेष्ठ थे। अभ्यपद्यत स वासिता सखः पुष्पिता: कमलिनीरिव द्विपः। 19/11 हाथी जैसे खिली हुई कमलिनी की गंध से भरे हुए सरोवर में हथिनियों के साथ
पैठता है। 8. द्विरद :- हाथी।
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