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कालिदास पर्याय कोश
वे पौ फटते समय की उस रात जैसे लगने लगीं, जब थोड़े से तारे बचे रह जाते हैं और चन्द्रमा भी पीला पड़ जाता है। अदेयमासीत्रयमेव भूपतेः शशिप्रभं क्षत्रमुभे च चामरे । 3/16 छत्र और दोनों चँवर तो न दे सके, शेष सब आभूषण उन्होंने उतार कर उसे दे डाले। शरत्प्रमृष्टाम्बुधरोपरोधः शशीव पर्याप्तक्लो नलिन्याः। 6/44 जैसे खुले आकाशवाली शरद ऋतु का मनोहर चन्द्रमा भी कमलिनी को नहीं भाता। शशिन मुपगतेयं कौमुदी। 6/85 यह तो चाँदनी और चन्द्रमा का मेल हो गया। शशिनं पुनरेति शर्वरी दायिता द्वन्द्वचरं पतत्त्रिणम्। 8/56 देखो चन्द्रमा को रात्रि फिर मिल जाती है, चकवे चकवी भी प्रातः मिल ही जाती
है।
लोकमन्धतमसात्क्रमोदितौ रश्मिभिः शशि दिवाकराविव। 11/24 जैसे सूर्य और चन्द्रमा बारी-बारी से अपनी किरणों से पृथ्वी का अंधेरा दूर करते है। पश्यति स्मजनता दिनात्यये पार्वणौ शशिदिवाकराविव। 11/82 इस प्रकार वे दोनों ऐसे जान पड़ने लगे, जैसे वे संध्या समय के चन्द्रमा और सूर्य
हों।
छाया हिभूमेः शशिनो मलत्वेनारोपिता शुद्धिमतः प्रजाभिः। 14/40 देखो! निर्मल चंद्र बिम्ब के ऊपर पड़ी हुई पृथ्वी की छाया को चन्द्रमा का कलंक कहते हैं और झूठ होने पर भी सारा संसार इसे ठीक मानता है। तापापनोदक्षमपाद सैवो स चोदस्स्थो नृपतिः शशी च। 16/53 एक तो सेवा से प्रसन्न होकर निर्धनता आदि संतापों को दूर करने वाले राजा
कुश और दूसरे शीतल किरणों से गर्मी का ताप दूर करने वाला चन्द्रमा। 11. सोम :-[सू+मन्] चन्दमा, सोम।
तथे त्युषस्पृश्य पयः पवित्रं सोमोद्भवायाः सरितोनृसोमः। 5/59 अज ने गंधर्व का कहना माना, उन्होंने पहले चन्द्रमा से निकली हुई नर्मदा के जल का आचमन किया।
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