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रघुवंश
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वैसे ही राजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा भी उन दोनों के समान तेजस्वी पुत्र
को
पाकर बड़े प्रसन्न हुए।
उपान्तसंमीलित लोचनो नृपश्चिरात्सुत स्पर्शरसज्ञतां ययौ । 3 / 26
उस समय आँख बंद करके राजा दिलीप बहुत देर तक अपने पुत्र के स्पर्श के आनन्द लेते ही रह जाते थे ।
निसर्ग संस्कार विनीत इत्यसौ नृपेण चक्रे युवराजशब्द भाक् । 3 / 35 जब राजा दिलीप ने यह देखा कि शिक्षा आदि संस्कारों से रघु नम्र हो गए हैं, तो उन्होंने रघु को युवराज बना दिया।
नृपस्य नातिप्रमनाः सदोगृहं सुदक्षिणासूनुरपि न्यवर्तत । 3/67 सुदक्षिणा के पुत्र रघु भी अपने पिता राजा दिलीप की सभा में लौट आए। त्याजितै: फल मुह्वातैर्भग्नैश्च बहुधा नृपैः । 4/33
राजा रघु ने किसी राजा से कर लेकर उसे छोड़ दिया, किसी का राज्य उजाड़ फेंका और किसी को लड़ाई में ध्वस्त कर डाला।
गृहीतप्रति मुक्तस्य स धर्मविजयी नृपः । 4/ 43
राजा रघु तो धर्मयुद्ध करते थे इसलिए उन्होंने राजा को बंदी तो बना लिया, पर अधीनता स्वीकार कर लेने पर छोड़ भी दिया।
गुरुप्रदेयाधिक निःस्पृहोऽर्थी नृपोऽर्थिकामादधिक प्रदश्च । 5/31 कौत्स इतने संतोषी थे कि आवश्यकता से अधिक लेने को उद्यत नहीं थे तो राजा माँग से अधिक धन देने पर तुले हुए थे ।
काकुत्स्थमालोकयतां नृपाणां मनो बभूवेन्दु मती निराशम् । 6 / 2 जब दूसरे राजाओं ने अज को देखा तो उन्होंने इन्दुमती को पाने की सब आशाएँ छोड़ दीं।
ततो नृपाणां श्रुतवृत्तवंशा पुंवत्प्रगल्भा प्रतिहाररक्षी । 6 /20
इसी बीच पुरुषों के समान ठीक और राजाओं के वंशों की कथा जानने वाली रनिवास की प्रतिहारी सुनंदा ।
कामं नृपाः सनतु सहसशोऽन्यै राजन्वतीमाहुरनेन भूमिम् । 6 / 22
यद्यपि संसार में सहस्रों राजा हैं किन्तु पृथ्वी इन्हीं के रहने से राजा वाली कहलाती है।
ततः परं दुष्प्रसहं द्विषद्भिर्नृपं नियुक्ता प्रतिहार भूमौ । 6 / 31
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