Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 440
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 428 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न हि सिंहों गजास्कन्दी भयाद् गिरिगुहाशयः । 17/52 क्योंकि हाथियों को मारने वाला सिंह गुफा में हाथियों के भय से नहीं सोता है, वरन् उसका स्वभाव ही वैसा होता है। मृगायताक्षो मृगया बिहारी सिंहादवाद्विपदं नृसिंहः । 18 / 35 उनके नेत्र मृगों के नेत्रों के समान बड़े-बड़े थे और वे पुरुषों में सिंह के समान थे । एक दिन वे जंगल में आखेट करते हुए मारे गए। कालिदास पर्याय कोश नवेन्दुना तन्नभसोपमेयं शावैक सिहेन च काननेन । 18/37 जैसे द्वितीया के चन्द्रमा से आकाश, सिंह के बच्चे से वन शोभा देता है। 7. हरि : - [ हृ + इन्] सिंह | स न्यस्तशस्त्रो दृश्ये स्वदेहमुपानयत्पिण्डमिवामिषस्य । 2/59 राजा दिलीप अपने अस्त्र फेंककर माँस के पिंड के समान सिंह के आगे जा पड़े। सदार 1. धर्मपत्नी सहित :- पत्नी सहित, पत्नी के साथ । श्रोत्राभिरामध्वनिना रथे स धर्मपत्नीसहितः सहिष्णुः । 2 / 72 सहनशील राजा दिलीप अपनी धर्मपत्नी के साथ जिस रथ पर चढ़कर चले, उसकी ध्वनि कानों को बड़ी मीठी लग रही थी । 2. सदार :- पत्नी सहित, पत्नी के साथ । गुरोः सदारस्य निपीड्य पादौ समाप्य सांध्यं च विधिं दिलीपः । 2 / 23 की पूजा हो जाने पर राजा दिलीप ने पहले वशिष्ठजी की और उनकी पत्नी अरुंधती जी के चरणों की वंदना की और फिर अपने संध्या के नित्य कर्मों को समाप्त किया । 4. सपरिग्रह :- पत्नी सहित, पत्नी के साथ । 3. सपत्नीक :- पत्नी सहित, पत्नी के साथ । आराधय सपत्नीकः प्रीता कम दुधा हि सा । 1 /81 अपनी पत्नी के साथ शुद्ध मन से उसकी सेवा करो, क्योंकि यदि वह प्रसन्न हो जाएगी, तो वह तुरंत इच्छित फल अवश्य देगी । For Private And Personal Use Only तथेति प्रतिजग्राह प्रीतिमान्सपरिग्रहः । 1 / 92 उन्होंने कहा कि हम ऐसा ही करेंगे और यह कहकर उन्होंने और उनकी पत्नी ने गुरुजी से इस व्रत के लिए आज्ञा ली ।

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