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कालिदास पर्याय कोश
रणः प्रववृते तत्र भीमः प्लवगरक्षसाम्। 12/72
वहाँ वानरों और राक्षसों का ऐसा भयंकर युद्ध होने लगा कि ।
इतराण्यपि रक्षांसि पेतुर्वानरोकोटिषु। 12/82
बहुत से राक्षस करोड़ों वानरों की सेना के बीच में इस प्रकार गिर रहे थे । अयः शंकुचितां रक्षः शतघ्नीमथ शत्रवे । 12/95
राक्षस रावण ने लोहे की कीलों से जड़ी हुई शतघ्नी राम पर चलाई । रराज रक्षः कायस्य कण्ठच्छेद परम्परा । 12 / 100
राक्षस रावण के सिर कटकर गिरते हुए ऐसे अच्छे लगते थे। समौल रक्षो हरिभिः ससैन्यस्तूर्यस्वनानन्दितपौरवर्गः । 14 / 10
वृद्ध मंत्रियों, राक्षसों और वानरों को साथ लेकर राम ने अपनी उस राजधानी में पैर रखे, जहाँ के निवासी तुरही आदि बाजों को सुन-सुनकर बड़े प्रसन्न हो रहे
थे ।
विनाशात्तस्य वृक्षस्य रक्षस्तस्मै महोपलम् । 15/21
उस वृक्ष के टूक-टूक हो जाने पर उस राक्षस ने एक ऐसी शिला उठाकर शत्रुघ्न पर फेंकी।
10. राक्षस :- [ रक्षस् इदम् :- अण् ] पिशाच, भूतप्रेत, बैताल, दानव, शैतान । धातारं तपसा प्रीतं यमाचैस हि राक्षसः । 10 / 43
जब ब्रह्माजी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए, तो उस राक्षस ने यही वरदान माँगा
कि ।
संध्याभ्रकपिशस्तस्य विराधो नाम राक्षसः | 12/28
वैसे ही संध्या के बादल के समान लाल रंग वाला विराध नाम का राक्षस । स्नेहाद्राक्षसलक्ष्म्येव बुद्धिमादिश्य चोदितः । 12/68
मानो राक्षसों की राजलक्ष्मी ने उसकी बुद्धि में पैठकर यह समझा दिया कि अब राम की शरण में जाने पर ही तुम्हारा कल्याण होगा।
आसन्यत्र क्रियाविघ्ना राक्षसा एव रक्षिणः । 15 / 62
यज्ञ क्रिया में विघ्न डालने वाले राक्षस ही उसकी रखवाली कर रहे थे।
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जगृहुस्तस्य चित्तज्ञाः पदवीं हरि राक्षसाः । 15 / 99
राम के मन की बात जानने वाले वानर और राक्षस भी उनके पीछे-पीछे चले । 11. सुरद्विष :- [ सुष्ठु राति ददात्य भीष्टम् :- सु + रा क + द्विष् ] राक्षस ।