Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 444
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 432 कालिदास पर्याय कोश सोऽहं दाशरथिर्भूत्वा रणभूमेर्बलिक्षमम्। 10/44 इसलिए मैं राजा दशरथ के यहाँ जन्म लेकर रणभूमि को भेंट चढ़ाऊँगा। रणः प्रववृते तत्र भीमः प्लवगरक्षसाम्। 12/72 वहाँ राक्षसों और वानरों का ऐसा भयंकर युद्ध होने लगा कि। रणो गन्धद्विपस्येव गन्धभिन्नान्य दन्तिनः। 17/70 जैसे बिना मदवाले हाथी, मतवाले हाथी से नहीं लड़ पाते, वैसे ही प्रतापी राजा अतिथि से लड़ने का कोई साहस ही नहीं करता था। 7. संग्राम :-[सङ्ग्राम् + अच्] रण, युद्ध, लड़ाई। संग्रामस्तुमुलस्तस्य पाश्चात्त्यैरव साधनैः। 4/62 वहाँ पच्छिम देश के घुड़सवार राजाओं से रघु की घनघोर लड़ाई हुई। सङ्ग्रामनिर्विष्ट सहस्त्रबाहुरष्टादशद्वीपनिखातयूपः। 6/38 जब वे रणक्षेत्र में जाते थे, तब उनके सहस्रों हाथ निकल आते थे। उन्होंने अट्ठारह द्वीपों में यज्ञ के खंभे गाड़ दिए थे। स्मरन्तः पश्चिमामाज्ञां भर्तुः संग्रामयायिनः। 17/8 लड़ाई में जाते समय कुश ने जो आज्ञा दी थी, उसके अनुसार। 8. संयत :-(स्त्री०) [सम् + यम् + क्विप्] युद्ध, संग्राम, लड़ाई। महेन्द्रमास्थाय महोक्षरूपं यः संयति प्राप्त पिनाकिलीलः। 6/72 उन राजा ने जब युद्ध में असुर को मारा था, तब बैल पर चढ़े हुए वे शिवजी के समान लगते थे। उत्थापितः संयति रेणुरश्चैः सान्द्रीकृतः स्यन्दनवंश चक्रैः। 7/39 युद्ध-क्षेत्र में घोड़ों की टापों से जो धूल उठी, उसमें रथ के पहियों से उठी हुई धूल मिलकर और भी घनी हो गई। ततः परं वज्रधरप्रभावस्तदात्मजः संयति वज्रघोषः। 18/21 वे इन्द्र के समान प्रभावशाली थे और युद्ध क्षेत्र में वज्र के समान गरजते थे। १. संयुग :-[सम् + युज् + क, जस्य गः] लड़ाई, संग्राम, युद्ध, संघर्ष। स किल संयुग मूर्ध्नि सहायतां महावतः प्रतिपद्य महारथः। 9/19 यह कहा जाता है कि महारथी दशरथ ने युद्ध में इंद्र की सहायता करके। 10. सन्निपात :-[सम् + मि + पत् + घञ्] टक्कर, संपर्क, संगम, संघात। आधोरणानां गजसंनिपाते शिरांसि चक्रैर्निशितैः क्षुराग्रैः। 7/46 For Private And Personal Use Only

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