Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 457
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 445 रघुवंश 5. विबुध :-[विशेषेण बुध्यते = बुध + क] सुर, देवता। ते रामाय वधोपायमाचरव्युर्विबुधद्विषः। 15/5 तब मुनियों ने राम को बताया, कि जब तक देवताओं के शत्रु लवणासुर के हाथ में भाला रहेगा, तब तक उसका हारना कठिन है। स विभुर्विबुधांशेषु प्रतिपन्नात्ममूर्तिषु। 15/102 देवताओं के अंशधारी रीक्ष-वानरों ने भी अपना देवरूप धारण कर लिया। सुर :-[सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम् :-सु + रा + क] देव, देवता। पर्याय पीतस्य सुरैर्हिमांशोः कलाक्षयः श्लाघ्यतरो हि वृद्धोः। 5/16 आप उस चंद्रमा के समान बड़े सुंदर लग रहे हैं, जिसकी सारी कलाएँ धीरे-धीरे देवताओं ने पी डाली हो। इति प्रसादयामासुस्ते सुरास्तमधोक्षजम्। 10/33 उनकी स्तुति करके देवताओं ने उन्हें प्रसन्न कर लिया। अवभृथ प्रयतो नियतेन्द्रियः सुरसमाजसमाक्रमणोचितः। 9/22 यज्ञ समाप्त हो जाने पर, जब वे स्नान करके पवित्र हुए, तब देवताओं के साथ बैठने योग्य संयमी राजा दशरथ ने। तस्मै कुशलसंप्रश्नव्यञ्जित प्रीतये सुराः। 10/34 विष्णु भगवान ने प्रसन्न होकर देवताओं से कुशल-मंगल पूछा। पुरुहूतप्रभृतयः सुरकार्योद्यतं सुराः। 10/49 जब भगवान विष्णु देवताओं का कार्य करने चले, तब इंद्र आदि देवताओं ने भी अपने-अपने अंश उनके साथ भेज दिए। कृतप्रतिकृतप्रीतैस्तयोर्मुक्तां सुरासुरैः। 12/94 देवता राम के ऊपर और राक्षस रावण के ऊपर फूलों की बरसा कर रहे थे। उपनत मणिबन्ध मूर्ध्निपौलस्त्यशत्रोः सुरभि सुरविमुक्तं पुष्पवर्षं पपात। _____ 12/102 जिस राम पर राज्याभिषेक का जल छिड़का जाने वाला था, उन्हीं के सिर पर देवताओं ने वे फूल बरसाए, जिनकी सुगंध पाकर। क्वचित्पथा संचरते सुराणां क्वचिद्घनानां पततां क्वचिच्च। 13/19 यह कभी तो देवताओं के मार्ग में उड़ता चलता है, कभी बादलों के मार्ग में पहुँच जाता है, तो कभी पक्षियों के मार्ग में उड़ने लगता है। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487