Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 477
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 465 रघुवंश अन्वगादिव हि स्वर्गो गां गतं पुरुषोत्तमम्। 10/72 मानो विष्णु भगवान के साथ-साथ स्वर्ग भी पृथ्वी पर उतर आया हो। 12. पंकजनाभ :-[पंकजम् + नाभः] विष्णु का विशेषण। सुतोऽभवत्पंकजनाभकल्पः कृत्स्नस्य नाभिर्नुपमण्डलस्य। 18/20 विष्णु के समान पराक्रमी होने के कारण शिल के उन्नाभ नाम के पुत्र संसार के सभी राजाओं के मुखिया बन गए। 13. मधुमथ :-[मन्यत इति मधु, मन् + उ नस्य धः + मथः] विष्णु का विशेषण। नरपतिश्चकमे मृगयारतिं स मधुमन्मधुमन्मथ संनिभः। 9/48 विष्णु के समान पराक्रमी, वसंत ऋतु के समान प्रसन्न और कामदेव के समान सुंदर दशरथजी के मन में आखेट की इच्छा होने लगी। 14. विभु :-[वि + भू + डु] ब्रह्मा, शिव, विष्णु। बभौ सदशनज्योत्स्ना सा विभोर्वदनोद्गता। 10/37 भगवान विष्णु की दाँतों की चमक से जगमगाती हुई उनकी वाणी जब मुख से निकली। 15. विष्णु :-[विष् + नुक्] देवत्रयी में दूसरा। अंशैरनुययुर्विष्णुं पुष्पैर्वायुमिव द्रुमाः। 10/49 जैसे वायु के चलने पर वन के वृक्ष स्वयं उसके पीछे अपने फूल भेज देते हैं, वैसे ही जब विष्णु चले, तब देवताओं ने अपने-अपने अंश उनके साथ भेज दिए। विष्णोरिवास्यानवधारणीयमीदृक्त या रूपमियात्तया वा। 13/5 जैसे विष्णु भगवान के विषय में नहीं कहा जा सकता कि वे ऐसे और इतने बड़े हैं, वैसे ही यह नहीं कहा जा सकता कि यह ऐसा है या इतना बड़ा है। विडोजसा विष्णुरिवाग्रजेन भ्रात्रा यदित्थं परवानसि त्वम्। 14/59 जैसे इंद्र के छोटे भाई विष्णु सदा अपने बड़े भाई की आज्ञा मानते हैं, वैसे ही तुम भी अपने बड़े भाई की आज्ञा मानने वाले हो। अवैमि कार्यान्तरमानुशस्य विष्णोः सुताख्यामपरां तनुं त्वाम्। 16/82 मैं यह जानता हूँ कि आप, राक्षसों का नाश करने के लिए मनुष्य का शरीर धारण करने वाले विष्णु के ही दूसरे रूप अर्थात् पुत्र हैं। For Private And Personal Use Only

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