Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 467
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 455 मार्ग में चलने वाली जितनी भी कुश की सेना की टुकड़ियाँ थीं, वे सब पूरी सेना ही प्रतीत होती थीं। मार्गेषिणी सा कटकान्तरेषु वैन्ध्येषु सेना बहुधा विभिन्ना। 16/31 मार्ग भूल जाने के कारण वह सेना विंध्याचल के आसपास मार्ग ढूंढ़ने लगी और कई भागों में बँट गई। 10. सैन्य :-[सेनायां समवैति ज्य] सेना, सेना की टुकड़ी। स तीर्वा कपिशां सैन्यैर्बद्ध द्विरद सेतुभिः। 4/38 रघु ने हाथियों का पुल बनाकर अपनी पूरी सेना को कपिशा नदी के पार कर दिया। स सैन्य परिभोगेण गजदान सुगन्धिना। 4/45 रघु के सैनिक जी भर कर नहाए, फिर हाथियों के नहाने से मद की गंध भी जल में आने लगी। शशंस तुल्य सत्त्वानां सैन्यघोषेऽप्य संभ्रमम्। 4/72 सैनिकों के समान ही बलवान सिंह, सेना के कोलाहल से तनिक भी नहीं घबराते थे। प्रस्थापयामास ससैन्यमेनमृद्धां विदर्भाधिप राजधानीम्। 5/40 उन्होंने सेना के साथ अज को विदर्भ देश की राजधानी भेज दिया। निवेशयामास विलङ्गिताध्वा क्लान्तं रजोधूसरकेतु सैन्यम्। 5/42 अपनी उस थकी हुई सेना का पड़ाव डाला, जिसकी पताकाएँ मार्ग की धूल लगने से मटमैली हो गई थीं। स विद्धमात्रः किल नागरूपमृत्सृज्य तद्विस्मितसैन्य दृष्टः। 5/51 बाण लगते ही वह अपना हाथी का शरीर छोड़कर देवताओं के समान सुंदर हो गया, यह देखकर अज के सैनिक तो अचरज से देखते रह गए। परेण भग्नेऽपि बले महौजा ययावजः प्रत्यरिसैन्यमेव। 7/55 यद्यपि शत्रुओं ने अज की सेना को मारकर भगा दिया था पर अज, शत्रु की सेना में बढ़ते ही चले गए। तस्थौ ध्वजस्तम्भनिषण्णदेहं निद्राविधेयं नरदेव सैन्यम्। 7/62 उन राजाओं की सारी सेना झंडियों के डंडों के सहारे सो गई। ससैन्यश्चान्वगादामं दर्शितानाश्रमालयैः। 12/14 For Private And Personal Use Only

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