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कालिदास पर्याय कोश वसंत बीत जाने के कारण जो कामदेव मंद पड़ गया था, वह स्त्रियों के उन केशों में जाकर बस गया। सनूपुर क्षोभ पदाभिरासीदुद्विग्नहंसा सरिदङ्गनाभिः। 16/56 जब कुश की रानियाँ सीढ़ियों से पानी में उतरने लगी, तब पैरों के बिछुए बजने लगे और इन शब्दों को सुन-सुनकर सरयू के हंस मचल उठे। अङ्गनास्तमधिकं व्यलोभयन्नर्पितप्रकृत कान्तिभिर्मुखैः। 19/10 तब स्त्रियों की स्वभाविक सुंदरता को देखकर वह और भी अधिक मोहित हो उठता था। सातिरेक मदाकरणं रहस्तेन दत्तमभिलेषुरङ्गनाः। 19/12 वहाँ वे स्त्रियाँ अग्निवर्ण का जूठा मदकारी आसव बड़े प्रेम से पीती थीं। स्वजकीर्तित विपक्षमङ्गनाः प्रत्यभैत्सुरवदन्त्य एव तम्। 19/22 जब स्त्रियाँ देखती थीं, कि राजा स्वप्न में बड़बड़ाते हुए किसी दूसरी स्त्री की बड़ाई कर रहा है, तब वे स्त्रियाँ । कार्तिकीषु सवितानहर्म्य भाग्यामिनीषु ललिताङ्गनासखः। 19/39 कार्तिक की रातों में वह राजभवन के ऊपर चँदोवा तनवा देता था और सुंदरियों के साथ उस चाँदनी का आनंद लेता था। अबला :-स्त्री। निद्रावशेन भवताप्यनवेक्ष्यमाणा पर्युत्सुकत्वमबला निशि खंडितेव। 5/67 देखो! तुम्हारी सौन्दर्य-लक्ष्मी ने जब देखा कि तुम निद्रा रूपी दूसरी स्त्री के वश में हो, तो वह चंद्रमा के पास चली गई, पर रात का चंद्रमा भी मलिन हो गया। परभृताविरुतैश्च विलासिनः स्मरबलैकरसाः कृताः। 9/43 कामदेव ने ऐसा जाल बिछाया कि सभी विलासी पुरुष युवती, स्त्रियों के प्रेम में सुधबुध खो बैठे। अनयदासनरज्जुपरिग्रहे भुजलतां जलतामबलाजनः। 9/46 स्त्रियाँ भी अपने हाथ से पकड़ी हुई रस्सी को इसलिए ढीला छोड़ देती थी कि हाथ छूटने पर हमारे प्रियतम हमें थाम ही लेंगे। कटुम्बिनी :-पत्नी, स्त्री। अपशोक मना: कटुम्बिनीमनु गृह्णीष्व निवापदत्तिभिः। 8/86 अब आप सब शोक छोड़ कर पिंड दान आदि करके, अपनी पत्नी का परलोक सुधरिये।
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