Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 420
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 408 कालिदास पर्याय कोश राम ने उसे तिरछी नोक वाले बाणों से केले के छिलके के समान टुकड़े-टुकड़े कर डाला। आकर्णमाकृष्टसबाणधन्वा व्यरोचता स्त्रेषु विनीयमानः। 18/51 जब बाण चढ़ाकर धनुष की डोरी कान तक खींचते थे, उस समय वे बड़े सुंदर लगते थे। मार्गण :-[मार्ग + ल्युट्] बाण। मगध कोशलकेकय शासिनां दुहितोऽहितरोपित मार्गणम्। 9/17 कोशल, मगध और केकय देश के राजाओं की कन्याओं ने शत्रुओं पर बाण बरसाने वाले दशरथ जी को पति के रूप में पा लिया। आत्मानं रणकृतकर्मणां गजानामानृण्यं गतमिव मार्गेणैरमंस्त। 9/65 राजा दशरथ ने अपने बाणों से उन हाथियों का ऋण चुका दिया, जो युद्ध में उनकी सेना में काम आ रहे थे। 7. विशिख :-[विगता शिखा यस्य प्रा०ब०] बाण। निवर्तयिष्यन्विशिखेन कुम्भे जघान नात्यायतकृष्टशाङ्गः। 5/50 उन्होंने अपने धनुष को थोड़ा सा खींचकर एक बाण उसके मस्तक में ऐसा मारा, जिससे वह लौट जाये। 8. शर :-[१ + अच्] बाण, तीर। प्रत्यादिश्यन्त इव मे दृष्टलक्ष्य भिदः शराः। 1/61 अपने बाणों से तो मैं केवल उन्हें ही बेध सकता हूँ, जो मेरे आगे आते हैं। ततो मृगेन्द्रस्य मृगेन्द्रगामी वधाय वध्यस्य शरं शरण्यः। 2/30 उस समय सिंह के समान चलने वाले शरणागत-रक्षक ने, सिंह को मारने के लिए तूणीर से बाण निकालने को हाथ उठाया। स एव मुक्तवा मघवन्तमुन्मुखः करिष्यमाणः सशरं शरासनम्। 3/52 यह कहकर उन्होंने धनुष पर बाण चढ़ाया और इन्द्र की ओर ऊपर मुँह करके खड़े हो गए। जहार चान्येन मयूरपत्रिणा शरेण शक्रस्य महाशनिध्वजम्। 3/56 फिर रघु ने मोर के पंख वाले दूसरे बाण से इन्द्र की वज्र-जैसी ध्वजा को काट डाला। शरैरुत्सव संकेतान्स कृत्वा विरतोत्सवान्। 4/78 For Private And Personal Use Only

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