________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रघुवंश
175
हे कमल के समान नेत्र वाले! बड़े-बड़े पट-मंडपों में बँधे हुए तुम्हारे वनाय
(काबुल) देश के घोड़े नींद छोड़कर। 16. सरसिज :-[सृ+असुन्+सिजम्] कमल।
वृन्ताच्छ्लथं हरति पुष्पमनोकहानां संसृज्यते सरसिजैर रुणांशुभिन्नैः। 5/69 प्रातः काल का पवन वृक्षों की शाखाओं पर झूलने वाले ढीले कोर वाले फूलों को गिराता हुआ सूर्य की किरणों से खिले हुए कमलों को छूता हुआ चल रहा
17. सहस्त्रपत्र :-[समानं हसति-हस्+र+पत्रम्] कमल।
विलोलनेत्रभ्रमरैर्गवाक्षाः सहस्रपत्राभरणा इवासन्। 7/11 मानो झरोखों में बहुत से कमल सजे हुए हों और उन पर बहुत से भौरे बैठे हए हों क्योंकि उनके सुंदर मुखों पर आँखें ऐसी जान पड़ती थीं, जैसे कमल पर भौरे बैठे हुए हों।
परवान
1. निघ्न :-[नि+हन्+क] आश्रित, अनुसेवी, आज्ञाकारी, शिक्ष्य, विधेय।
निघ्नस्यमे भर्तृ निदेशरौक्ष्यं देवि समस्वेतिबभूव नमः। 14/58 स्वामी की आज्ञा से मैंने आपके साथ जो कठोर व्यवहार किया है, उसे आप क्षमा कीजिये। परवान :-[पर+मतुप् मस्य वः] पराधीन, दूसरे के वश में, आज्ञापालन के लिए तत्पर। भवानपीदं परवानवैति महान्हि यत्नस्तव देवदारौ। 2/56 तुम भी दूसरे के सेवक हो और बड़ी लगन से देवदार की रक्षा कर रहे हो। भगवन्परवानयं जनः प्रतिकूलाचरितं क्षमस्व मे। 8/81 हे भगवन् ! मैंने दूसरों के कहने पर यह काम किया है, मेरा इसमें कुछ भी दोष नहीं है, मुझे क्षमा कीजिए। विडोजसा विष्णु रिवाग्रजेन भ्रात्रा यदित्थं परवानसि त्वम्। 14/59 जैसे इन्द्र के छोटे भाई विष्णु सदा अपने बड़े भाई की आज्ञा मानते हैं, वैसे ही तुम भी अपने बड़े भाई की आज्ञा मानने वाले हो।
For Private And Personal Use Only