Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 475
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 463 रघुवंश अथेश्वरेण क्रथकैशिकानां स्वयंवरार्थं स्वसुरिन्दुमत्याः। 5/39 इसी बीच विदर्भ देश के राजा ने अपनी बहन इंदुमती के स्वयंवर में अज को। स्वसुर्विदर्भाधिपतेस्तदीयो लेभेऽन्तरं चेतसि नोपदेशः। 6/66 सुनंदा की बातें विदर्भराज की बहन इंदुमती के मन में वैसे ही नहीं घर कर सकी। स्वसारमादाय विदर्भ नाथः पुरप्रवेशाभिमुखो बभूव। 7/1 स्वयंवर हो चुकने पर अपनी बहन इन्दुमती को साथ लेकर विदर्भ नरेश नगर की ओर चले। इति स्वसुर्भोजकुलप्रदीपः संपाद्य पाणिग्रहणं स राजा। 7/29 उस भोज-कुल के दीपक, लक्ष्मीवान् राजा ने अपनी बहन का विवाह-संस्कार पूरा करके। इमां स्वसारं च यवीयसी में कुमुद्वतीं नार्हसि नानुमन्तुम्। 16/85 हे राजन्! यह मेरी छोटी बहन कुमुद्वती जीवन भर आपकी सेवा करके। तं स्वसा नागराजस्य कुमुदस्य कुमुद्वती। 17/6 वैसे ही नागराज कुमुद की बहन कुमुद्वती भी कुश के साथ ही सती हो गई। हरि 1. अच्युत :-विष्णु, सर्वशक्तिमान, प्रभु। पृषतैर्मन्दरोद्भुतैः क्षीरोर्मय इवाच्युतम्। 4/27 जैसे मंदराचल से मथते समय क्षीर सागर की लहरों की उछलती हुई उजली फुहारें भगवान् विष्णु के ऊपर बरस रही थीं। 2. अधोक्षज :-[अधर + असि, अधरशब्दस्य स्थाने अधादेश + अक्षजः] विष्णु। इति प्रसादयामासुस्ते सुरास्तमधोक्षजम्। 10/33 जो भगवान विष्णु किसी भी इंद्रिय से प्राप्त नहीं होते हैं, उनकी स्तुति करके देवताओं ने उन्हें प्रसन्न कर लिया। 3. आदिपुरुष :-[आ + दा + कि + पुरुषः] विष्णु, कृष्ण या नारायण। ते च प्रादुरुदन्वन्तं बुबुधे चादिपुरुषः। 10/6 ज्यों ही देवता लोग क्षीर सागर पहुँचे, त्यों ही विष्णु भगवान् भी योग निद्रा से जाग उठे। For Private And Personal Use Only

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