Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 445
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 433 जहाँ हाथियों का युद्ध हो रहा था, वहाँ पैने छुरे वाले चक्रों से जिन हाथीवानों के सिर कट गए थे। 11. समर :-[सम + ऋ + अप्] संग्राम, युद्ध, लड़ाई। काम्बोजाः समरे सोढुं तस्य वीर्यमनीश्वराः। 4/69 कंबोज के राजा भी लड़ाई में रघु के आगे नहीं ठहर सके। वामाङ्गसंसक्तसुराङ्गनः स्वं नृत्यत्कबन्धं समरे ददर्श 7/51 अपने बाएँ एक अप्सरा लिए हुए विमान पर चढ़कर आकाश से यह देखने लगा, कि मेरा धड़ रणभूमि में किस प्रकार नाच रहा है। रथतुरगरजोभिस्तस्य रूक्षालकाग्रा समरविजयलक्ष्मी: सैव मूर्ता बभूव। 7/70 उनके रथ के घोड़ों की टापों से उठी हुई धूल से इंदुमती के केश भर गए और वह साक्षात् रणभूमि की विजयलक्ष्मी जैसी जान पड़ रही थीं। रजांसि समरोत्थानि तच्छोणितनदीष्विव। 12/82 मानो राक्षसों के रक्त की नदी में रणक्षेत्र से उठी हुई धूल पड़ रही हो। दुर्जातबन्धुरयमृक्षहरीश्वरो मे पौलस्त्य एष समरेषु पुरः प्रहर्ता। 13/72 ये वानरों और भालुओं के सेनापित सुग्रीव हैं और बड़े गाढ़े दिनों में ये हमारे काम आए हैं और ये पुलस्त्य कुल में उत्पन्न हुए विभीषण हैं, ये युद्ध के समय हमसे आगे बढ़-बढ़कर शत्रुओं पर प्रहार करते थे। जघान समरे दैत्यं दुर्जयं तेन चावधि। 17/5 वहाँ युद्ध में शक्तिशाली दुर्जय नाम के राक्षस को मारकर वे स्वयं भी वीर गति को प्राप्त हुए। अनीकिनीनां समरेऽग्रयायी तस्यापि देवप्रतिमः सुतोऽभूत। 18/10 उस क्षेमधन्वा को भी इंद्र के समान पुत्र हुआ, जो युद्ध में सेना के आगे-आगे चलता था। सर 1. कमलाकरालय :-तालाब, सरोवर। विहगाः कमलाकरालयाः समदुःखा इव तत्र चकुशुः। 8/39 उनसे डरकर तालाबों में रहने वाले पक्षी भी इस प्रकार चिल्ला उठे, मानो वे भी उनके दुःख में दुखी हों। For Private And Personal Use Only

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