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कालिदास पर्याय कोश
विधातु
1. धात्र :-(पुं०) [धा + तृच्] सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का विशेषण, निर्माता। रात्रिर्गता मतिमतांवर मुञ्च शय्यां धात्रा द्विधैव ननु धूर्जगतो विभक्ता।
5/66 हे परमबुद्धिमान् ! रात्रि ढल गई है, अब शय्या छोड़िए। ब्रह्मा ने पृथ्वी का भार केवल दो भागों में बाँटा है। धातारं तपसा प्रीतं ययाचे स हि राक्षसः। 10/43 जब ब्रह्माजी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए, तब उस राक्षस ने यही वरदान माँगा कि। नाभिप्ररूढाम्बुरुहासनेन संस्तूय मानः प्रथमेन धात्रा। 13/6 इनकी नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न होने वाले ब्रह्माजी सदा इनके गुण
गाया करते हैं। 2. परमेष्ठिन :-(पुं०) [परमेष्ठ + इनि] ब्रह्मा की उपाधि ।
आचरव्यौ दिवमध्यास्व शासनात्परमेष्ठिनः। 15/93 __ कहा कि ब्रह्मा की आज्ञा है, कि अब आप चलकर बैकुंठ में रहें। 3. पितामह :-(पुं०) [पितृ + डामहच्] ब्रह्मा का विशेषण, दादा, बाबा।
अयोध्या सृष्टलोकेव सद्यः पैतामही तनुः। 15/60 वह अयोध्या ऐसी जान पड़ती थी मानो तत्काल सृष्टि करने वाले ब्रह्मा की
चतुर्मुखी मूर्ति हो। 4. प्रजापति :-[प्र + जन् + ड + टाप् + पतिः] ब्रह्मा का विशेषण।
स्वमूर्तिभेदेन गुणाग्यवर्तिना पतिः प्रजानामिव सर्गमात्मनः। 3/27 जैसे प्रजापति ब्रह्मा ने अपने सतोगुण वाले अंश से विष्णु के प्रकट होने पर यह
समझ लिया कि अब हमारी सृष्टि अमर हो गई। 5. विधात् :-(पुं०) [वि + धा + तृच्] स्रष्टा, ब्रह्मा।
अथाभ्यर्च्य विधातारं प्रयतौ पुत्र काम्यया। 1/35 पवित्र मन से राजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा ने पुत्र की इच्छा से पहले ब्रह्माजी की पूजा की। तस्मिन्विधानातिशये विधातुः कन्यामये नेत्र शतैकलक्ष्ये। 6/11 वह कन्या क्या थी, ब्रह्मा की रचना की एक बहुत ही सुन्दर कला थी, जिसे सैकड़ों आँखें एकटक होकर देख रही थीं।
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