Book Title: Ashtak Prakaran
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 6
________________ श्री अष्टक प्रकरण __अर्थ - जिस प्रकार कुशल वैद्य के वचन के पालन से जड़मूल से व्याधि का विनाश होता हैं, उसी प्रकार महादेव के उपदेश के पालन से संसार का अवश्य क्षय होता है । एवम्भूताय शान्ताय, कृतकृत्याय धीमते । महादेवाय सततं, सम्यग्भक्त्या नमो नमः ॥८॥ अर्थ - उपर कहे हुए लक्षणवाले, राग-द्वेष रहित प्रशान्त, कृतकृत्य, केवलज्ञान रूपी बुद्धि से युक्त, महादेव को सदा सम्यक् प्रकार की भक्ति से वारंवार नमस्कार हो ।

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