Book Title: Ashtak Prakaran
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 61
________________ ६० श्री अष्टक प्रकरण किसका सेवन करे? विचार कर हिंसा और अब्रह्म नरक के कारण हैं, जबकि मद्य गोल, धावड आदि शुद्ध वस्तुओं से बनने के कारण निर्दोष हैं, ऐसा निर्णय कर मद्यपान का स्वीकार कर मद्यपान किया। अधिक स्वाद के लिए मदिरा के साथ बकरे को मारकर मांस का भी सेवन किया । इस प्रकार केवल मद्यपान के लिए हिंसादि सब पाप किये । उसके परिणाम में तप का सामर्थ्य नष्ट हो गया । अंत में मरकर वह ऋषि नरक में गया । इस प्रकार धर्मियों के द्वारा मद्य को दोषों की खान जानना चाहिए ।

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