Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailassagarsun Gyanmandir इण्णजाणजुग्गा विमउलणवणलिणिसोभियजला पंडुरवरभवणसण्णिमहिया उत्ताणणयणपेच्छणिज्जा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवातीसेणंचंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरिच्छमे दिसिभाए पुण्णभद्दे नामंचेइए होत्था, चिराईए पुव्वपुरिसपण्णत्ते पोराणे सहिए वित्तिए (कित्तिए पा०) णाए सच्छत्ते सज्झए सघंटे (सपडागे पा०) पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे क्यवेयहिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितले उवचियचंदणकलसे चंदणघडसुक्यतोरणपडिदुवारदेसभाए आसत्तोसत्तविउलवग्धारियमलदामकलावे पंचवण्णसरससुरहिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमचंतगंधुधुयाभिरामे सुगंधवरगंधगधिए गंधवट्टिभूएणडणदृगजलल्मल्लमुट्ठियवेलंबयपवगकहगलासगआइक्खगलंखमखतूणइल्लतुंबवीणियभुयगमागहपरिगए बहुजनजाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजनस्स आहुणिजे पाहणिजे अच्चणिज्जे वंदणिजे नमंसणिज्जे पूणिज्जे सकारणिजे सम्माणणिजे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पजुवासणिजे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहियपाडिहेरे जागसहस्सदायभागपडिच्छए (जागभागदायसहस्सपडिच्छए पा०) बहुचणो अच्चेइ आगम्म पुण्णभदं चेइयं से णं पुण्णभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सवओ समंता संपरिक्खत्ते, सेणं वणसंडे किण्हे किण्होभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिओभासे सीए सीओभासे गिद्धे गिद्धोभासे तिव्वे तिव्वोभासे किण्हे किण्हच्छाए नीले नीलच्छाए सीए सीयच्छाए गिद्धे णिद्धच्छाए तिब्वे तिव्वच्छाए घणकडिअतडिच्छाए रम्मे महामेहणिकुरंबभूए,तेणंपायवा मूलमंतो कंदमंतोखंधमंतो त्यामंतोसालमंतो ॥ औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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