Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभिरूवा पडिरूवा ३। तस्स णं वणसंडस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं महं एके असोगवरपायवे (दूरोवगयकंदमूलवट्टलट्ठसंठियसुसिलिटुघणमसिणणिद्धसुजायनिरुवह उव्विद्धपवरखंधी पा० )अणेगनरपवरभुयागेन्झो कुसुमभरसमोनमंतपत्तलविसालसालो महकरिभमरगणगुमगुमाइय निलिंतउड्डितसस्सिरीए णाणासउणगणमिहुणसुमहरकण्णसुहपलत्तसद्दमहरे पा०) पण्णत्ते, कुसविकुसविसुद्धरुखमूले मूलमंते कंदमते जाव पविमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, सेणं असोगवरपायवे अण्णेहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहिं सत्तवण्णेहिं दविण्णेहिं लोद्धेहिं धवेहिं चंदणेहि अजुणेहिं णीवेहिं कुडएहिं| सव्वेहिं फणसेहिं दाडिमेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहिं पियएहिं पियंगूहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं गंदिरुक्खेहिं सवओ समंता संपरिक्खित्ते, ते णं तिलया लउया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वण्णओ भाणियव्वो जाव सिबियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा, ते णं तिलया जाव णंदिरुक्खा अण्णेहिं बहूहि पउमलयाहिं णागल्याहिं असोअमयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलयाहिं अइमुत्तलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहिं सवओ समंता संपरिक्खित्ता, ताओ णं पउमलयाओ णिच्चं कुसुभियाओ जाव वडिंसयधरीओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ (तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरि बहवे अट्टअट्ठमंगलगा पं० २०-सोवत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा सहा मण्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निष्पंका निकंकडच्छाया ॥ औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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