Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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मारणंतिआ संलेहणाजूसणाराहणा, अयमाउसो! अगारसामाइए धम्मे पं०, धम्मस्स सिक्खाए उवट्ठिए समणोवासए समणोवासिआ वा विहरमाणे आणाइ आराहए भवति३॥ तए णं सा महतिमहालिया मणूसपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठजावहिअया उठाए उतुति ना समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति णमंसति त अत्यंगइआ मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइया, अत्थेगइआ पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइ दुवालसविहं गिहिम्म पडिवण्णा, अवसेसा णं परिसा समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसतित्ता एवंव०-सुअक्खाए ते भंते! णिग्गंथे पावयणे एवं सुपण्णते सुभासिए सुविणीए सुभाविए अणुत्तरे ते भंते! णिग्गंथे पावयणे,धमणंआइक्खमाणातुब्भे उवसमंआइक्खह उवसमंआइक्खमाणा विवेगं आइक्खह विवेगं आइक्खमाणा वेरमणं आइक्खह वेरमणं आइक्खमाणा अकरणं पावाणं कमाणं आइक्खह, णत्थि णं अण्णे केई समणे वा साहणे वा जे एरिसं धम्ममाइक्खित्तए किमंग पुण इत्तो उत्तरतरं?, एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउब्भूआ तामेव दिसं पडिगया ३५ो तए णं कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्टतुटुजावहिए उठाए उढेइ-त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति णमंसति त्ता एवं व०-सुअक्खाए ते भंते! णिग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं?, एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए ३६। तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठजावहिअयाओ उट्ठए उद्वेइ त्ता समणं ॥ औपपातिकमुपांग ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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