Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवागच्छंति त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादिए तित्थयरातिसेसे पासंति त्ता पाडिएकपाडिएक्काई जाणाई ठवंति ता जाणेहिंतो पच्चोरुहंति ना बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ताओ जेणेव समणे भगवं महावीर तेणेव उवागच्छंति त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंतितं०-सच्चित्ताणंदव्वाणं विसरणयाए अचित्ताणंदव्वाणं अविसरणयाए विणओणताए गायलट्ठीए चक्खुम्फासे अंजलिपग्गहेणं मणसो एगत्तभावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं क्रन्ति त्ता वंदंति णमंसंति त्ता कूणियायं पुरओ कटु ठिइयाओ चेव सपरिवाराओ अभिमुहाओ विणएणं पंजलिउडाओ पज्जुवासंति ३३/ तए णं समणे भगवं महावीर कूणिअस्स भंभसारपुत्तस्स सुभद्दाप्पमुहाणं देवीणं तीसे अमहतिमहालियाए परिसाए इसीपरिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरिवाराए ओहबले अइबले महब्बले अपरिमिअबलवीरियतेयमाहप्पकंतिजुत्तेसारयनवत्थणियमहरगंभीरकोंचणिग्धोसदुंदुभिस्सरे उरेवित्थडाए कंठेऽवट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमभ्मणाए सव्वक्खरसण्णिवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए (फुडविसयमहरगंभीरगाहियाए सव्वक्खरसण्णिवाइयाए पा०) जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए भासति अरिहा धम्म परिकहेइ तेसिं सव्वेसिं| आरियमणारियाणं अगिलाए धम्ममाइक्खइ, साऽविय णं अद्धमागही भासा तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ तं०-अस्थि लोए अस्थि अलोए एवं जीवा अजीवा बंधे मोक्खे पुण्णे पावे आसवे संवरे वेयणा णिजरा अरिहंता ॥ औपपातिकमुपांग ॥ | ३८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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