Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir अम्मडस्सणं णो कप्पड़ सगडं एवं चेव भाणियव्द जाव णण्णत्थ एगाए गंगामट्टियाए, अभ्भडस्स णं परिव्वायगस्स णो प्या आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाएइ वा अझोअरएइ वा पूइकम्मेइ वा कीयगडेइ पाभिच्चेइ वा अणिसिडेइ वा अभिहडेइ वा ठइत्तए वा रइत्तए वा कंतारभत्तेइ वा दुब्भिक्खभत्तेइ वा पाहुणगभत्तेइ वा गिलाणभत्तेइ वा वद्दलियाभत्तेइ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अभ्भडस्सणं परिव्वायगस्सणी कप्पड़ मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्सणं परिव्वायगस्स चविहे अणत्थदंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए तं०-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे, अभ्भडस्स कप्पड़ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽविय वहमाणए नो चेवणं अवहमाणए जाव सेऽविय परिपूए नो चेव णं अपरिपूर नो चेव णं अपरिपूए सेऽविय सावज्जेत्तिका णो चेव णं अणवज्जे सेऽविय जीवा इतिकट्टु णो चेव णं अजीवा सेऽविय दिपणे णो चेवणं अदिण्णे सेऽविय दंतहत्थपायचचमसपक्खालणट्ठयाए पिबित्तए वा णो चेवणं सिणाइत्तए, अम्मडस्स कप्पड़ मागहा य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽविय वहमाणे जाव दिने नो चेव णं अदिण्णे सेऽविय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थपायचरुचमसपक्खालणवाए पिबित्तएवा,अभ्भडस्सणोकप्पइ अनउत्थियावाअण्णउत्थ्यिदेवयाणिवाअण्णउत्थ्यिपरिग्गहियाणि वा चेइयाई वंदित्तए वा मंसित्तए वा जाव पज्जुवासित्तए वा णण्णत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा, अभडे गं भंते! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति?, गोयमा! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावएहि IM औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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