Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir बहुधणबहुजायरूवश्यते आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डि अपरउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूते पडिपुण्णजंत-|| कोसकोडागाराउधागारे बलवं दुब्बलपच्चामित्ते ओहयकंटयं निहयकंटयं मलिअकंटयं उद्धियकंटयं अकंटय् ओहयसत्तुं निहयसत्तुं मलियसत्तुं उद्धिअसत्तुं निजियसत्तुं पराइअसत्तुं ववगयदुब्भिक्खं मारिभयविष्पमुक्कं खेमं सिवं सुभिक्खं पसंत (पसंताहिय पा!) डिंबडमरं रज पसासे (हे पा०) माणे विहरइ ६। तस्स णं कोणियस्स रण्णो धारिणी नाम देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरालक्खणवंजणगुणोववेआमाणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगी ससिसोमाकारकंतपियदसणा सुरूवा करयलपरिमिअपसत्थतिवलियमझा कुंडलुलिहिअ(पीण पा० ) गंडलेहा कोमुइयणियरविमलपडिपुण्णसोमवयणा सिंगार गारचारुवेसा संगयगयहसिअभणिअविहिअविलाससललिअसंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला (१० सुंदरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णविलासकलिया) पासादीआ दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा कोणिएणं रण्णा भंभसारपुत्तेणं सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्ठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरतिशतस्सणं कोणिअस्सरण्णो एके पुरिसे विलकयवित्तिए भगवओपवित्तिवाउए भगवओतद्देवसिअंपवित्तिणिवेएइ,तस्सणं पुरिसस्सबहवे अण्णे पुरिसा दिण्णभतिभत्तवेअणा भगवओपवित्तिवाउआ भगवओतद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेतिपातेणं कालेणं० कोणिए राया भंभसारपुत्तेबाहिरियाए उवट्ठाणसालाए अणेगगणनायगदंडनायगराईसर तलवरमाडंबिअकोडुबिअमंतिमहामंतिगणगदोवारिअअमच्चचेडपीढमदनगर निगमसेडिसेणावइ| औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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