Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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अणसणे, से किं तं ओमोअरिआ?, २ दुविहा पं० २०-दव्वोमोअरिआ य भावोमोअरिआ य. से किं तं दव्योमोअरिआ?. २ दुविहा|| पं० २०-उवगरणदव्योमोअरिआ य भत्तपाणादव्योमोअरिआ य, से किं तं उवगरणदव्योमोअरिआ ?, २ तिविहा पं० ०-एगे वत्थे|| एगे पाए चियत्तोवकरणसातिजणया, से तं उवगणदव्योमोअरिआ, से किं तं भत्तपाणदव्वो मोअरिआ?, २ अणेगविहा पं० २०अट्ठकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे अप्पाहारे दुवालसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे अवड्ढोमोअरिआ सोलकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्तेकवलेआहारमाणेदुभागपत्तोमोअरिआचउव्वीसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्तेकवले आहारमाणे पत्तोमोअरिआ एक्कतीसकुक्कुडिअंडगप्पमाममेत्ते कवले आहारमाणे किंचूणोमोअरिआ बत्तीसकुक्कुडिअंडगप्यमाणमेत्ते कवले आहारमाणेपमाणपत्ता, |एतो एगेणविधासेण ऊणयं आहारमाहारेमाणे समणे णिगंथे णो पकामरसभोईत्ति वत्तव्यं सिआ, से तं भत्तपाणादव्योमोअरिआ, से तंदव्योमोअरिआ, से किं तं भावोमोअरिआ?,२ अणेगविहा पं००-अपकोहे अप्पमाणे अप्पमाए अप्पलोहे अप्पसद्दे अप्पझंझे, से तं भावोमोअरिआ, से तं ओमोअरिआ, से किं तं भिक्खायरिया ?, अणेगविहा पं० तं०-दव्वाभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गहचरए कालाभिग्गहचरए भावाभिग्गहचरए उक्खित्तचरए णिक्खित्तचरए उक्वित्तणिक्खित्तचरए णिक्खित्तउक्खित्तचरए वट्टिजमाणचरए साहरिजमाणचरए उवणीअचरए अवणीअचरए उवणीअअवणीअचरए अवणीअउवणीअचरए संसद्धचरए असंसद्धचरए तज्जातसंसद्धचरए अणायचरए मोणचरए दिट्ठलाभिए अदिट्ठलाभिए पुट्ठलाभिए अयुद्धलाभिए भिक्खालाभिए अभिक्खलाभिए अण्णगिलायए ॥ औपपातिकमुपांगं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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