Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उग्गपव्वइया भोगपव्वइया राइण्ण० णाय० कोरव्व० खत्तिअपव्वइआ भडा जोहा सेणावई पसत्थारो सेट्ठी इब्भा अण्णे य बहवे | एवमाइणो उत्तमजातिकुलरूवविणयविण्णाणवण्णलावण्णविक्कमपहाणसोभग्गकंतिजुत्ता बहुधणघण्णणिचयपरियाल फिडिआ णरवइगुणाइरेगा इच्छिअभोगा सुहसंपललिआ किंपागफलोवमं च मुणिअ विसयसोक्खं जलबुब्बु असमाणं जोव्वणं कुसग्गजलबिंदुचंचलं जीवियं च णाऊण अधुवमिणं स्यमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ताणं चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइआ अप्पेगइआ अद्धमासपरिआया अप्पेगइआ मासपरिआया एवं दुमास० तिमास० जाव एक्कारस० अप्पेगइआ वासपरिआया दुवास० तिवास० अप्पेगइआ अणेगवासपरिआया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेभाणा विहरंति (१४ । तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंथा भगवंतो अप्पेगइआ आभिणिबोहियणाणी जाव' केवलणाणी अप्पेगइआ मणबलिआ वयबलिआ कायबलिआ (नाणबलिया दंसणबलिया चरितबलिया पा० ) अध्पेगइआ मणेणं सावाणुग्गहसमत्था अप्पेगइआ खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहि० विष्पोसहि● आमोसहि० सव्वोसहि० अप्पेगइआ कोट्ठबुद्धी एवं बी अबुद्धी पडबुद्धी अप्पेगइआ पयाणुसारी अप्पेगइआ संभिन्नसोआ अप्पेगइआ खीरासवा अप्पेगइआ महुआसवा अप्पेगइआ सप्पिआसवा अप्पेगइआ अक्खीणमहाणसिआ एवं उज्जुमती अप्पेगइआ विउलमई विउव्वणिढिपत्ता चारणा विजाहरा आगासातिवाइओ अप्पेगइआ कणगावलिं तवोकम्मं पडिवण्णा एवं एक्कावलिं खुड्डागसीह निक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया महालयं सीह निक्कीलियं तवोकभ्मं पडिवण्णा भद्दपड़िमं महाभद्दपडिमं । औपपातिकमुपांगं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81