Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सीलव्व्यगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूइंवासाई समणोवासयपरियायं पाणिहिति त्ता मासियाए संलहेणाए अप्पाणं झूसित्ता सष्टुिं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिरते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववजिहिति, तत्थ्णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पं०, तत्थ णं अभ्भडम्सवि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई, से णं भंते! अभडे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं| उववजिहिति?, गोयमा! महाविदेहे वासे जाइं इमाई कुलाई भवंति तं०- अड्ढाई दित्ताई वित्ताइ विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणा (इण्णा) इं बहुधणजायरूवश्ययाई आओगपओगसंपउत्ताई विच्छड्डियपउर भत्तपाणाई| बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाई बहुजणम्स अपरिभूयाई तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिति, तए णं तस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पतिण्णा भविस्सइ सेणं तत्थ्णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाए राइंदियाणं वीइक्वंताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दारए पयाहिति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिंति बिइयदिवसे चंदसूरदसणियं काहिंति छठे दिवसे जागरियं काहिंति एक्कारसमे दिवसे वीतिकंते णिव्वित्ते असुइजायकम्भकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणणिप्पण्णणामधेज काहिंति-जम्हाणं अम्हे इमंसि दारगंसि गब्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मेदढा पड़ण्णा तं होउ णं अहं दारए दढपइण्णे णामेणं, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो IM औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private and Personal Use Only

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