Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
| काउं विहरंति, तेसिंणं भगवंताणं आयावाया( वाई पा० )वि विदिता भवंति परवाया (इणो पा० ) विदिता भवंति आयावायं जमइत्ता/ नलवणमिव भत्तामातंगा अच्छिद्दपसिणवागरणारयणकरंडगसमा कुत्तिआवणभूआ परवादियपमद्दा दुवालसंगिणो (प्रवाईहिं अणोकंता अण्णउतिथएहिं अणोद्धंसिजमाणा अपेगइया आयारधरा पा०) समत्तगणिपिडगधरा सव्वक्खरसण्णिवाइणो सव्वभासाणुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणा इव अवितहं वागरमाणा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति ।१६। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो ईरिआसमिआ भासासमिआ एसणासमिआ आदाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिआ उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिद्वावणियासमिआ मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुतिंदिया गुत्तबंभयारी अममा अकिंचणा(छिण्णगंथापा०)अग्गंथा छिण्णसोआ निरूवलेवा कंसपातीवमुक्कतोआ संखइवनिरंगणाजीवोविव अपडिहयगती जच्चकणगंपिव जातरूवा आदरिसफलगाविव पागडभावा कुम्मोइव गुत्तिदिआ पुक्खरपत्तंव निरुवलेवा गगणमिव|| निरालंबणा अणिलोइव निरालया चंदइव सोमलेसा सूरइव दित्ततेआ सागरोइव गंभीय विहगइव सव्वओ विष्पमुक्का मंदरइव अप्पकंपा सारयसलिलंव सुद्धहिअया खग्गिविसाणंव एगजाया भारंडपक्खीव अप्पमत्ता कुंजरोइव सोडिरा वसभोइव जायत्थामा सीहोइव दुद्धरिसा वसुंधराइव सव्वफासविसहा सुहुअहुआसणेइव तेअसा जलंता, नत्यि णं तेसिं णं भगवंताणं कत्थई पडिबंधे भवइ, से अपडिबंधे चउबिहे पं० २०-दओ खित्तओ कालओ भावओ, दवओणं सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु (तं०-अंडएइ वा पोयाइ || औपपातिकमुपांग ॥
| १४ |
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81